basil in hindi

About Basil in Hindi: तुलसी भारतीय घरों का वंदनीय पौधा है जिसको ज्यादातर हिन्दुओं के घरों में आसानी से देखा जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है की जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वह घर तीर्थ के सामान होता है क्यूंकि तुलसी (Basil) एक प्रभावशाली महाऔषधि है जो शारीरिक रोगों के साथ ही आंतरिक भावों और विचारों पर भी कल्याणकारी प्रभाव डालती है। तुलसी धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से मानवीय समाज के लिए हितकारी है।

तुलसी एक ऐसी औषधि है जिसका मुकाबला अन्य दूसरी औषधियां नहीं कर सकती इसलिए आयुर्वेद में तुलसी को अमृत के सामान माना गया है। तुलसी का उपयोग सदियों से आयुर्वेद में दवा के रूप में किया जाता रहा है। अगर आप तुलसी से परिचित नहीं हैं तो आज हम आपको इसके फायदे और तुलसी से जुड़ी अन्य समस्त जानकारी विस्तार से बताते हैं।

 

तुलसी क्या है | What is Basil in Hindi

तुलसी एक सदाबहार वानस्पतिक शाकीय पौधा है जो एल्स लैमिएशी (Lamiaceae) कुल से संबंधित है। तुलसी का वैज्ञानिक नाम ओसीमम तेनुफ्लॉरूम (Ocimum Tenuiflorum) है एवं इंग्लिश में तुलसी Basil के नाम से जानी जाती है। तुलसी का पौधा लगभग एक से तीन फिट लम्बा और झाड़ीनुमा होता है इसलिए इसे घर पर छोटे से गमले में भी आसानी से उगाया जा सकता है।

तुलसी की पत्तियां लगभग 2 इंच तक लम्बी अंडाकार होती हैं इन्हीं पत्तियों के बीच में से गोल एवं एक के ऊपर एक फूल लगते हैं जो सफ़ेद रंग के होते हैं। तुलसी के फूलों में ही तुलसी के छोटे छोटे बीज लगते हैं जिनका आकार अंडाकार होता है।

तुलसी बेहद फायदेमंद होती है। आज भी भारतीय घरों में अक्सर सर्दी खांसी जैसी बीमारी होने पर तुलसी के काढ़े का ही सेवन कराया जाता है। तुलसी ना सिर्फ सर्दी खांसी के लिए उपयोगी औषधि है बल्कि यह हृदय रोग, कफ, पित्त, मधुमेह और श्वास सम्बंधी कई रोगों से निपटने में भी सक्षम और गुणकारी औषधि है।

 

तुलसी की प्रजातियां | Species of Basil in Hindi

basil species in hindi

एन्टीऑक्सडेंट गुणों से युक्त तुलसी की सम्पूर्ण विश्व में लगभग 150 प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन तुलसी की श्वेत और कृष्ण प्रजातियां प्रमुख्य और प्रचलित हैं। तुलसी की श्वेत और कृष्ण प्रजातियों को उनके उपनाम राम तुलसी और श्याम तुलसी के नाम से जाना जाता है।

श्वेत तुलसी यानी राम तुलसी में गंध और तीक्ष्णता कम मात्रा में पाई जाती है एवं इसकी टहनियां सफेद रंग की होती हैं जबकि कृष्ण तुलसी अर्थात श्याम तुलसी की टहनियां और पत्तियां जामुनी रंग की होती हैं। कृष्ण तुलसी का उपयोग वात, कफ रोगों के लिए किया जाता है एवं राम तुलसी का उपयोग त्वचा सम्बन्धी रोगों के लिए किया जाता है।

दोस्तों राम और कृष्ण तुलसी की तरह ही तुलसी की कुछ अन्य प्रजातियां भी प्रचलित हैं जिनको इस प्रकार के नामों से जाना जाता है।

  • ऑसीमम वेसिलिकम मुन्जरिकी या मुरसा
  • ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम
  • आसीमम ग्रेटिसिकम
  • ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम
  • ऑसीमम विरिडी
  • ऑसीमम सैक्टम

 

तुलसी में पाए जाने वाले विभिन्न पौष्टिक तत्व | Nutrients of Basil in Hindi

तुलसी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ के लिए रामबाण औषधि है। तुलसी में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन k, फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट्स, आयरन, सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, विटामिन B6, मैंगनीज, जिंक, राइबोफ्लेविन, थायमिन, कॉपर, केरोटिन, क्रिप्टो जान्थिन, ल्यूटिन जीजान्थिन, फोलेट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट, सिट्रिक एसिड, टारटरिक एसिड, मैलिक एसिड, एंटी इंफ्लामेट्री तत्व पाए जाते हैं।

 

तुलसी के विभिन्न नाम | Different Names of Basil

तुलसी एक दैवीय पौधा है जिसको एक नहीं बल्कि कई नामों से जाना जाता है। तो आइये जानते हैं तुलसी के अन्य नाम कौनसे हैं।

तुलसी का हिंदी में नाम – वृन्दा

तुलसी का अंग्रेजी में नाम – बेसिल

तुलसी का संस्कृत में नाम – सुलभा, देवदुन्दुभि, तुलसी

तुलसी का तमिल में नाम – तुलशी

तुलसी का कन्नड़ में नाम – एरेड तुलसी

तुलसी का मलयालम में नाम – कृष्ण तुलसी

तुलसी का मराठी में नाम – तुलस

तुलसी का तेलुगु में नाम – गग्गेर चेट्टु

 

तुलसी के बेमिसाल फायदे | Benefits of Basil in Hindi

tulsi ke fayde

तुलसी आयुर्वेदिक औषधि है जो एक दवा की तरह कार्य करती है। प्राचीन काल में अधिकतर रोगों को तुलसी के प्रयोग से ही ठीक किया जाता था। इसलिए परम्परागत रूप से आज भी तुलसी का उपयोग कई तरह के रोगों को ठीक करने में किया जाता है। यदि आप तुलसी से होने वाले फायदों को नहीं जानते हैं तो अब हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएँगे जिनको जानने के बाद आप तुलसी का उपयोग नियमित रूप से करने लगेगें।

 

(A) तुलसी के स्वास्थवर्धक फायदे | Basil Health Benefits in Hindi

तुलसी स्वास्थ के लिए वरदान है। तुलसी के उपयोग से आप अपने शरीर को निरोगी बना सकते हैं। तो चलिए तुलसी के स्वास्थवर्धक फायदों के बारे में जानते हैं।

 

1. तुलसी प्रदर रोग में है लाभकारी

ल्यूकोरिया को बोलचाल की भाषा में प्रदर रोग कहा जाता है। प्रदर रोग महिलाओं में होने वाला एक सामान्य रोग है। इस रोग में महिलाओं की योनि से सफेद रंग का गाढ़ा और दुर्गन्धयुक्त पानी निकलता है जिसको सफ़ेद पानी या प्रदर रोग कहा जाता है। प्रदर रोग 10 में से 7 महिलाओं में पाया जाता है।

समय पर इस रोग का इलाज नहीं करने से अधिकांश महिलाओं को अत्यधिक कमजोरी का अनुभव होने लगता है एवं जैसे-जैसे यह रोग पुराना होता है शरीर को को कई तरह के रोगों से घेर लेता है। प्रदर रोग को ठीक करने के लिए तुलसी लाभकारी औषधि है। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल और एन्टीऑक्सडेंट तत्व पाए जाते हैं जो इस बीमारी से मुक्ति दिलाने में मदद करते हैं।

प्रदर रोग ठीक करने के लिए तुलसी का प्रयोग इस तरीके से करें –

सामग्री :

  • 50 ग्राम चावल का पानी
  • 30 ग्राम ताजी तुलसी का रस

विधि – चावल पानी में तुलसी के रस को मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें। इस प्रयोग को करने से प्रदर रोग जड़ से ख़त्म हो जाता है।

 

2. तुलसी मधुमेह रोगियों के लिए है फायदेमंद

प्राचीन काल से ही मधुमेह रोग को असाध्य रोगों की श्रेणी में रखा गया है। मधुमेह एक खामोश रोग है जो धीरे-धीरे अपने दुष्प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगो पर डालता है। यह एक ऐसा रोग है जो भारत में तेजी से फ़ैल रहा है इसलिए मधुमेह के खतरे से बचने के लिए गुणकारी औषधियों का सेवन करना बेहद जरुरी है।

तुलसी एक ऐसी लाभकारी औषधि है जो मधुमेह रोग को नियंत्रित करने की तो क्षमता रखती ही है साथ ही में स्वस्थ व्यक्ति को मधुमेह के विकारों से बचाने में भी सहायक होती है।

मधुमेह रोग को नियंत्रित करने के लिए तुलसी का प्रयोग इस तरीके से करें –

सामग्री :

  • आठ तुलसी की ताजी पत्तियां
  • पांच काली मिर्ची के दाने

विधि – काली मिर्च और तुलसी की पत्तियों को साथ में मिलाकर नित्य सुबह खाली पेट सेवन करने से मधुमेह रोग ठीक होता है।

 

3. मलेरिया रोग में है फायदेमंद

मलेरिया एक संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी कीटाणु के माध्यम से फैलता है एवं इन कीटाणुओं को केवल माइकोस्‍कोप में ही देखा जाता है। चूँकि मलेरिया रोग मलेरिया मादा एनोलीज जाति के मच्छर के काटने से फैलता है इस मच्छर के काटने से व्यक्ति कई दिनों तक बुखार से पीड़ित रहता है। तुलसी में संक्रमण और बैक्ट्रिया को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं जिसकी वजह से तुलसी मलेरिया के संक्रमण को आसानी से खत्म कर देती है।

मलेरिया रोग ठीक करने के लिए तुलसी का प्रयोग इस तरीके से करें –

सामग्री :

  • 5 काली मिर्ची के दाने
  • 5 नीम की पत्तियां
  • 10 तुलसी की पत्तियां
  • 1\4 हल्दी पाउडर
  • 100 ग्राम पानी

विधि – 100 ग्राम पानी में काली मिर्ची के दाने, तुलसी की पत्तियां, नीम की पत्तियां और हल्दी पाउडर को डालकर पानी को उबालें। जब पानी 50 ग्राम रह जाये तो गिलास में छान कर नित्य सुबह खाली पेट सेवन करें। मलेरिया रोग से बचाव करने के लिए आप तीन काली मिर्ची के दाने और पांच तुलसी की ताजी पत्तियों का सेवन प्रतिदिन कर सकते हैं।

 

4. कोलस्ट्रोल और वजन कम करने में लाभकारी है तुलसी

कोलस्ट्रोल और मोटापा दोनों ही शरीर के लिए बेहद घातक हैं। परम्परागत जीवनशैली के विपरीत इस नयी जीवनशैली की वजह से बड़ों से लेकर बच्चे तक कोलस्ट्रोल और मोटापा की बीमारी से जूझ रहे हैं। मोटापा और बड़ा हुआ कोलस्ट्रोल एक साथ कई बिमारियों का जन्मदाता होता है इसलिए इन बिमारियों को कम करने के लिए हम हर संभव प्रयास भी करते हैं लेकिन सही तरीके से प्रयोग नहीं करने की वजह से ज्यादातर लोग असफल ही रहते हैं।

यदि कोलस्ट्रोल और मोटापा को कम करना चाहते हैं तो तुलसी आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। तुलसी में फाइबर और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो वजन और कोलस्ट्रोल को सरलता से कम काम कर देता है।

कोलस्ट्रोल और वजन कम करने के लिए तुलसी का प्रयोग इस तरीके से करें –

सामग्री :

  • 50 ग्राम दही
  • 10 तुलसी की पत्तियां

विधि – तुलसी की पत्तियों को दही में डालकर खाना खाने के पहले सेवन करने से वजन और कोलस्ट्रोल कम होता है।

 

5. तुलसी से बनाये किडनी को स्वस्थ

किडनी हमारे शरीर का बेहद महत्वपूर्ण अंग होता है क्यूंकि किडनी हमारे शरीर से खून और पानी को शुद्ध करके यूरिन के माध्यम से टॉक्सिन को बहार निकाल देती है। इसलिए किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सुपरफूड का सेवन करना चाहिए। विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट तत्व किडनी को स्वस्थ बनाते हैं। तुलसी में विटामिन, मिनरल्स सहित एंटीऑक्सीडेंट तत्व उच्च मात्रा में पाए जाते हैं जो किडनी को स्वस्थ और हेल्दी बनाने में मदद करते हैं।

किडनी को स्वास्थ बनाने के लिए तुलसी का प्रयोग इस तरीके से करें –

सामग्री :

  • 10 ग्राम तुलसी का रस
  • 10 ग्राम शहद

विधि – तुलसी के रस में शहद को मिलाकर खाने से किडनी के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं।

 

6. सर्दी खांसी में रामबाण है तुलसी

अक्सर मौसम का बदलाव सर्दी खांसी और फ्लू को अपने साथ लेकर ही आता है। सर्दी-खांसी बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन रोग हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाते हैं। सर्दी खांसी और जुकाम एक सामान्य रोग है लेकिन इसकी वजह से हमारे शरीर और दैनिक कार्यो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यदि आप चाहते हैं कि आपको मौसम के बदलाव के कारण इस रोग का सामना ना करना पड़े तो आपके लिए तुलसी का सेवन अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा।

सर्दी खांसी रोगों को नष्ट करने के लिए तुलसी का प्रयोग इस तरीके से करें –

सामग्री :

  • 12 तुलसी की ताज़ी पत्तियां
  • 4 – 5 काली मिर्ची के दाने
  • 1\4 छोटी चम्मच अजवाइन
  • 1\ 4 टुकड़ा ताजे पान का
  • 5 मोंगरा की पत्तियां
  • 1\4 एक छोटी चमच्च किस्सा हुआ अदरक
  • 1\4 छोटी चम्मच हल्दी पाउडर
  • 100 ग्राम शुद्ध पानी

विधि – गैस ऑन करके पानी में एक छोटी चमच्च किस्सा हुआ अदरक, एक टुकड़ा ताजे पान का, काली मिर्ची के दाने, तुलसी की ताज़ी पत्तियां, मोंगरा की पत्तियां, अजवाइन, हल्दी पाउडर डालकर पानी को उबालें। जब पानी की मात्रा 50 ग्राम हो जाये तो गैस को बंद करके पानी को छलनी की सहायता से छानकर हल्का ठंडा होने के बाद सेवन करें। प्रतिदिन रात्रि के समय या नित्य सुबह खाली पेट तुलसी का सेवन इस तरीके से करने से सर्दी खांसी की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।

 

7. तुलसी सिरदर्द में है फायदेमंद

सिरदर्द यानी सिर की पीड़ा यह एक आम रोग है जो किसी भी समय तनाव, चिंता, बुखार, दैनिक जीवनशैली में बदलाव की वजह से होता है। कई बार यह एक दो घंटे के बाद ठीक भी हो जाता है लेकिन लम्बे समय तक होने वाला सिरदर्द बीमारी का कारण बनता है जो व्यक्ति के समस्त शरीर को प्रभावित करता है। अतः सिरदर्द की छोटी सी बीमारी आपके लिए बड़ी बीमारी भी बन सकती है। तुलसी का इस्तेमाल सिरदर्द से निजात पाने के लिए सदियों से होता आ रहा है। यदि आप भी सिरदर्द से परेशान हैं तो आपको तुलसी का उपयोग जरूर करना चाहिए।

सिरदर्द को दूर करने के लिए तुलसी का प्रयोग इस तरीके से करें –

सामग्री :

  • तुलसी का 10 ग्राम रस
  • एक छोटी चम्मच शहद
  • आधी छोटी चम्मच अदरक का रस

विधि – तुलसी और अदरक को शहद में मिलाकर सेवन करने से सिरदर्द की समस्या से निजात मिलती है।

 

8. कब्ज को मिटाये तुलसी

आज के समय में कब्ज की समस्या एक आम समस्या हो गई है जो बच्चों से लेकर बड़ों में दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। बता दें कि कब्ज की बीमारी को कभी भी सामान्य बीमारी में नहीं लेना चाहिए क्योंकि कब्ज पेट से सम्बंधित रोग है जो सम्पूर्ण शरीर को अस्वस्थ बना सकता है। तुलसी में फाइबर, पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन सी पाया जाता है जो पेट को साफ़ करती है जिसकी वजह से मल आसानी से बहार निकलने लगता है। अतः यदि आपको भी कब्ज की बीमारी है तो आप तुलसी का सेवन कर सकते हैं।

कब्ज रोग से छुटकारा पाने के लिए तुलसी का प्रयोग इस तरीके से करें –

समग्री :

  • 12 तुलसी की पत्तियां
  • एक छोटी चम्मच सौंफ
  • एक छोटी चम्मच नींबू का रस
  • 100 ग्राम पानी

विधि – पानी में तुलसी की पत्तियां और सौंफ डालकर उबाल लें। पानी उबल जाने के बाद छलनी की सहायता से पानी को छानकर नींबू का रस मिलाकर सेवन करें। इस उपाय का इस्तेमाल करने से जल्द ही कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है।

 

9. तनाव और थकान को दूर भगाये तुलसी

उदासीनता थकान और तनाव का मुख्या कारण है लेकिन कई बार काम की अधिकता और चिंता के कारण भी शरीर में कमजोरी थकान और तनाव उत्पन्न हो जाता है जिसकी वजह से व्यक्ति की शारीरिक क्रियाओं में परिवर्तन होने लगता है। तुलसी तनाव और थकान को दूर करने वाली एक गुणकारी औषधि है। तुलसी में एंटी-स्ट्रेस, एन्टीऑक्ससिडेंट गुणों के आलावा फाइबर, प्रोटीन, ओमेगा 3 एसिड पाया जाता है जो तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है।

तनाव और थकान को दूर करने के लिए तुलसी का प्रयोग इस तरीके से करें –

समग्री :

  • 8 तुलसी की पत्तियां
  • 1 जामफल का पत्ता

विधि – जामफल पत्ता और तुलसी की पत्तियों को नित्य सुबह एवं शाम को सेवन करने से शरीर का तनाव और थकान में रहत मिलती है। जामफल पत्ता और तुलसी की पत्तियों का सेवन करने से मुंह की दुर्गन्ध भी ख़त्म हो जाती है।

 

10. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में तुलसी है लाभकारी

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को बोलचाल की भाषा में नपुसंकता कहा जाता है जो किसी भी उम्र में पुरुषों को हो सकता है। लेकिन ज्यादातर पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या 40 की उम्र में देखने को मिलती है। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की परेशानी गलत खान पान और डायबिटीज़ या प्रोस्टेट संबंधी सर्जरी की वजह से होती है। यदि आप इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आपके लिए तुलसी का उपयोग लाभकारी रहेगा।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या में इस तरीके से तुलसी का प्रयोग करें –

सामग्री :

  • 10 ग्राम तुलसी की जड़ का चूर्ण
  • 10 ग्राम अस्वगंधा का चूर्ण
  • 200 ग्राम गाय का दूध

विधि – अस्वगंधा का चूर्ण और तुलसी के चूर्ण को मिलाकर गाय के गर्म दूध के साथ सेवन करने से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या से निजात मिलती है।

 

(B) तुलसी के त्वचा संबंधी फायदे | Skin Benefits of Basil in Hindi

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तुलसी आयुर्वेद की एक महाऔषधि है जो त्वचा संबंधी सभी तरह के विकारों को नष्ट करती है। तो चलिए अब आपको तुलसी के त्वचा संबंधी फायदों से अवगत करते हैं।

 

1. दाद, खाज और खुजली को जड़ से ख़त्म करती है तुलसी

दाद, खाज और खुजली बैक्टीरियल रोग हैं जो आमतौर पर मौसम में होने वाले बदलाव के कारण उत्पन्न होते है। चूँकि यह रोग बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होता है इसलिए यदि दाद, खाज और खुजली का समय पर उपचार नहीं किया जाता तो यह रोग सम्पूर्ण शरीर पर फ़ैल जाते हैं। यदि किसी रोगी को खुजली की समस्या अधिक समय तक रहती है तो खुजली एग्जिमा का रूप ले लेती है।

यदि आप भी दाद, खाज और खुजली से पीड़ित हैं तो तुलसी का उपयोग कर सकते हैं। ताजी तुलसी की पत्तियों के पेस्ट में नींबू का रस मिलाकर प्रभावित अंग पर लगाने से दाद, खाज, खुजली से निजात मिलती है।

 

2. तुलसी मुहासों के लिए है फायदेमंद

वर्तमान समय में 95% युवा वर्ग मुहासों की समस्या से जूझ रहा है। मुँहासे की वजह से व्यक्ति का सुंदर चेहरा बदसूरत दिखने लगता है। इसलिए मुहासों से छुटकारा पाने के लिए अधिकतर लोग कई तरह की क्रीम और दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इन क्रीमों के इस्तेमाल से भी लोगों को इस समस्या से छुटकारा नहीं मिलता है। मुहासों से छुटकारा पाने के लिए आप तुलसी का उपयोग कर सकते हैं। तुलसी और नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से मुँहासे की समस्या जड़ से ख़त्म हो जाती है।

 

3. रिंकल्स में के लिए लाभकारी है तुलसी

रिंकल्स यानी झुर्रियों का होना बढ़ती उम्र और बुढ़ापे को दर्शाता है। झुर्रियां का प्रभाव सबसे पहले चेहरे की त्वचा पर ही देखने को मिलता है। तुलसी में विटामिन ई, विटामिन सी, एन्टीऑक्सडेंट तत्व और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो त्वचा को रिंकल्स की समस्या से अंत करते हैं। तुलसी के पेस्ट में विटामिन ई कैप्सूल मिलाकर लगाने से रिंकल्स हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं।

 

(C) तुलसी के बालों से सम्बंधित फायदे | Hair Benefits of Basil in Hindi

तुलसी स्वास्थ को हेल्दी बनाने के अतरिक्त बालों से सम्बंधित रोगों को नष्ट करने में भी प्रभावकारी औषधि है। तो आइये तुलसी से बालों को होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।

 

1. तुलसी से रोके बालों का झड़ना

प्रदूषण, कैमिकल युक्त शैम्पू और कमजोरी की वजह से अक्सर हमारे बाल झड़ने लगते हैं। अत्यधिक झड़ने की वजह से बाल पतले होते हैं साथ ही कई बार लोग गंजेपन के भी शिकार हो जाते हैं। झड़ते बालों को रोकने के लिए तुलसी कारगर औषधि है। झड़ते बालों को रोकने के लिए एवं घना मजबूत बनाने के लिए तुलसी पाउडर और आंवला पाउडर का पेस्ट बनाकर बालों की जड़ों में लगाएं। कुछ दिनों के प्रयोग से ही आपके बाल लम्बे घने और खूबसूरत नजर आएंगे।

 

2. तुलसी से खत्म करें बालों की रुसी

हमारे बालों में रुसी होने के कई कारण हैं लेकिन यदि रुसी का उपचार सही समय पर नहीं किया जाता है तो यह बालों को रुखा, पतला और बेजान बना देती है। इसलिए रुसी को बालों का दुश्मन कहा जाता है। यदि आपके बालों में भी रुसी है तो आप तुलसी का उपयोग कर सकते हैं। तुलसी के रस में दही और नीबूं मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से बालों को रुसी की समस्या से छुटकारा मिलता है।

 

3. तुलसी सफ़ेद बालों को बनाये काला

विटामिन्स, मिनरल्स और गलत शैम्पू के उपयोग की वजह से समय से पहले ही बाल सफ़ेद होने लगते हैं। तुलसी (Basil) में सभी तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं इसलिए तुलसी को औषधि की रानी कहा जाता है। बता दें की तुलसी के उपयोग से आप असमय होने वाले सफ़ेद बालों को रोक सकते हैं। तुलसी के रास में एलोवरा का रस मिलाकर लगाने से बाल काले, मुलायम और खूबसूरत बनते हैं।

 

4. तुलसी जुएं और लीख को खत्म करने में है फायदेमंद

बालों की सफाई ठीक तरह से नहीं करने पर अक्सर बालों की जड़ो और बालों में जुएं लीख हो जाते हैं। जुओं को नष्ट करने के लिए कई तरह के मेडिकल तेलों का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इन तेलों के इस्तेमाल से भी जुएं और लीख पूर्ण तरीके से ठीक नहीं होते हैं। बता दें तुलसी जुएं और लीख को खत्म करने के लिए बेहद फायदेमंद औषधि है। तुलसी और नीम का पेस्ट बालों की जड़ो में लगाने से जुएं और लीख हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं।

 

तुलसी का उपयोग | Uses of Basil in Hindi

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तुलसी का उपयोग आप इस प्रकार से कर सकते हैं :

1. तुलसी की पत्तियों का उपयोग आप प्रातःकाल खाली पेट कर सकते हैं।

2. तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

3. सलाद के रूप में तुलसी का उपयोग किया जा सकता है।

4. जूस के रूप में आप तुलसी का उपयोग कर सकते हैं।

5. ग्रीन टी के रूप में आप तुलसी का उपयोग कर सकते हैं।

6. सब्जी में मिलाकर तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

तुलसी से होने वाले नुकसान | Side Effects of Basil in Hindi

तुलसी स्वास्थ के लिए बेहद गुणकारी औषधि है लेकिन तुलसी की तासीर गर्म होती है जिसकी वजह से इसका अत्यधिक सेवन करने से कुछ नुकसान भी होते हैं। तो आइये जानते हैं तुलसी से होने वाले नुकसान कौन कौन से हैं:

1. तुलसी के अत्यधिक इस्तेमाल से शरीर का ब्लड शुगर लेवल कम हो जाता है। यदि आप ब्लड शुगर लेवल कम करने की दवाइयों का सेवन करते हैं तो आपको तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए।

2. गर्भवती महिलाओं को तुलसी का सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए।

3. स्तनपान कराने वाली महिलाओं को तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए।

4. किसी भी तरह की एलर्जी जैसे की सीने में जलन, यूरिन में जलन, त्वचा में खिचाव होने पर तुलसी का उपयोग तुरंत ही बंद कर देना चाहिए।

 

तो दोस्तों ये थी तुलसी (Basil in hindi) से जुड़ी कुछ जानकारी। हम आशा करते हैं की आप तुलसी के फायदे और नुकसानों से परिचित हो गए होंगे। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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1 COMMENT

  1. sir aapka jankari bhut achchi hai yh post very useful and information

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