barley in hindi

About Barley in Hindi: बार्ले (Barley) गेंहू की तरह दिखने वाला एक खाद्य पदार्थ है। इस खाद्य पदार्थ को साधारण बोलचाल की भाषा में जौ के नाम से जाना जाता है। जौ एक ऐसा अनाज है जो अन्य अनाजों की तुलना में कम लोकप्रिय है परन्तु इसमें अन्य अनाजों से कई गुना अधिक पौष्टिक गुण पाए जाते हैं। यह एक ऐसा दुर्लभ अनाज है जो मानव शरीर को कई तरह के फायदे पहुँचाता है। प्राचीन काल से ही जौ का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में होता आया है। जौ के पौधे में जड़ से लेकर तने एवं दाने तक उच्च स्तरीय औषधिय गुण पाए जाते हैं।

जौ का अत्यधिक उपयोग पशु चारे के रूप में किया जाता था किन्तु इसके स्वास्थ सम्बन्धी लाभों को देखते हुए कई वर्षों से जौ का उपयोग खाद्य आहार के रूप में भी होने लगा है। जौ को बुद्धिवर्धक आहार भी कहा गया है जो कि मानव की बुद्धि को तेज करता है। जो के इतने सभी स्वास्थवर्धक लाभों के कारण ही भारतीय ऋषि-मुनि प्राचीन काल से इसका उपयोग अपने आहार के रूप में करते आयें हैं। अगर आप अभी तक जौ के फायदों से परिचित नहीं है तो पड़ते रहिये इस पोस्ट को क्यूंकि इसमें हम आपको जौ के फायदों और जौ से सम्बंधित अन्य महत्पूर्ण जानकारियों को विस्तार से बताने वाले हैं।

 

जौ क्या है और कैसा दिखता है | What is Barley in Hindi

जौ गेंहू या घास परिवार का ही एक हिस्सा है किन्तु इसमें गेंहू की अपेक्षा अधिक पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। जौ एक आनाज है जिसका उपयोग मोटे आनाज के रूप में किया जाता है। जौ की दो प्रजातियां पाई जाती हैं। पहली छिलका वाली प्रजाति और दूसरी बिना छिलका वाली प्रजाति होती है। इसकी दूसरी प्रजाति का उपयोग अधिक किया जाता है। जौ का आकार गेंहू की तुलना में छोटा होता है। इसका उपयोग पेय और खाद्य दोनों ही पदार्थों में किया जाता है। साथ ही जौ का उपयोग मध पेय पदार्थों में भी किया जाता है। गेंहू से छोटे और हल्के जौ के दानों का उपयोग सदियों से होता आ रहा है। जौ के दानों का प्रयोग भारतीय ऋषि मुनि यज्ञ में आहुति के रूप में भी करते हैं।

 

जौ की तासीर कैसी होती है :

जिस प्रकार धरती पर जन्म लेने वाले हर मनुष्य का स्वाभाव व प्रकृति अलग-अलग होती है उसी प्रकार अलग-अलग अनाजों की तासीर भी अलग-अलग होती है। किसी भी आनाज का सेवन करने से पहले उसकी तासीर के बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है क्योंकि तासीर के विपरीत यदि कोई भी व्यक्ति आनाज का सेवन करता है तो उस पर आनाज का विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए आपको जौ की तासीर का ज्ञान होना भी जरुरी है। तो आपको बता दें कि जौ समशीतोष्‍ण जलवायु में अपना विकास करता है। इसलिए इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए गर्मी में इसका सेवन करना काफी फायदेमंद होता है।

 

जौ के पौधे की क्या पहचान है | How Barley looks like

जौ का पौधा गेंहू के पौधे की अपेक्षा अधिक मजबूत और सहनशील होता है। इसका पौधा समशीतोष्ण जलवायु में अपना विकास करता है। जौ का पौधा दिखने में बिल्कुल गेंहू के पौधे की तरह ही दिखाई देता है किन्तु इसके पौधे के तीन रूप होते हैं। पहला पौधा जो हरा और बारीक होता है जिसमें नोक नहीं होती है इसलिए इस पौधे को तीक्ष्ण नोक वाला पौधा कहा जाता है। दूसरा नोक वाला पौधा होता है जिसको यव कहा जाता है। तीसरा पौधा काला और लालिमा लिए होता है जिसको अतयव कहा जाता है। बार्ले अर्थात जौ रबी मौसम की फसल है जिसको सर्दी के मौसम में उगाया जाता है। जौ की बुआई अक्टूबर से दिसम्बर महीनों के बीच की जाती है। दोस्तों जौ के पौधे की एक विशेषता यह है कि इस पौधे को किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से लगाया जा सकता है।

 

जौ किन देशों में पाया जाता है | Most Producer Countries of Barley in Hindi

जौ एक ऐसा अनाज है जिसकी पैदावार विश्वभर में की जाती है किन्तु कुछ देश ऐसे हैं जहाँ पर जौ की उपज सर्वाधिक होती है। बता दें कि रूस, जर्मनी, अमेरिका, कनाडा और भारत में जौ सर्वाधिक पाया जाता है। रूस, जर्मनी अमेरिका, कनाडा में जौ का ज्यादातर उपयोग पशु चारे के रूप में किया जाता है।

 

जौ के विभिन्न नाम | Some other names of Barley

जैसा कि हमें विदित है कि भारत देश में कई राज्य हैं और उनकी बोलचाल की भाषा भी अलग-अलग है। इसलिए यह जानना भी जरुरी है कि किस राज्य में जौ (Barley) को क्या बोला जाता है।

बार्ले का वैज्ञानिक नाम – होर्डियम बल्‍गारे (Hordeum vulgare)

हिंदी में बार्ले का नाम – जौ

अंग्रेजी में बार्ले का नाम – बार्ले

संस्कृत में बार्ले का नाम – यव

पंजाब में बार्ले का नाम – नाई, जवा

मलयालम में बार्ले का नाम – जवेगम्बु

तमिल में बार्ले का नाम – बारलियारिशि

गुजरात में बार्ले का नाम – जौ

तेलगु में बार्ले का नाम – यवक

मराठी में बार्ले का नाम – जवा

अरबी में बार्ले का नाम – शाईर

उर्दू में नाम बार्ले का – जव

नेपाल में बार्ली का नाम – तोसा

 

जौ में पाए जाने वाले पोषक तत्व | Nutrients of Barley in Hindi

आनाज, फल अथवा कोई भी वास्तु तब लाभकारी बनती है जब उसमें किसी विशेष प्रकार की गुणवत्ता पाई जाती है। गुणवत्ता के लिए कुछ खास गुणों का होना जरुरी है। जौ (Barley) की बात करें तो इसमें कई तरह के स्वास्थवर्धक विटामिन्स, खनिज, मिनरल्स पाए जाते हैं यही इसे इतना लाभकारी बनाते हैं। जौ में पाए जाने वाले पोषक तत्वों का विस्तार से व्याख्यान करें तो इसमें थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, आयरन, कैल्शियम, फाइबर, कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फोलेट, जिंक, विटामिन बी6 आदि पोषक तत्व उचित मात्रा में पाए जाते हैं।

 

जौ के अनेक प्रकार | Types of Barley in Hindi

types of barley

जिस प्रकार जौ में कई तरह के विटामिन्स पाए जाते हैं। उसी तरह जौ के कई प्रकार भी होते हैं। आइये आपको जौ के विभिन्न प्रकारों से रूबरू करवाते हैं।

 

1. चोकर बार्ले | Hulled barley

चोकर को Hulled barley भी कहा जाता है। इसके ऊपरी आवरण को हल्का सा साफ़ करके चोकर परत को उसी अवस्था में रखा जाता है। हुल्ड बार्ले में फाइबर, प्रोटीन और भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। इस प्रकार के जौ को देर तक पकाने के बाद खाया जाता है।

 

2. पतवार बार्ले | Barley Grits

पतवार बार्ले में बाहरी आवरण को हटा दिया जाता है तथा इसकी चोकर बरक़रार रहती है इसलिए यह भी सम्पूर्ण बार्ले अनाज माना जाता है। पतवार बार्ले का स्वाद बेहद स्वादिष्ट होता है। जौ के इस प्रकार में प्रोटीन सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है।

 

3. अनहॉल्ड बार्ले | Unhulled barley

इसमें जौ के बाहरी पतवार को हटाया नहीं जाता बल्कि जिस तरह से जौ आती है उसे उसी तरह से साबुत ही इस्तेमाल कर लिया जाता है। इस तरह की जौ को अंकुरित करके स्प्राउट्स के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

 

4. पर्ल बार्ले | Pearled barley

पर्ल बार्ले में चोकर की पर्त को हटा कर बनाया जाता है। पर्ल बार्ले का दाना छोटा होता है तथा इसका रंग सफ़ेद चमकदार होता है। जौ के इस रूप को अपेक्षाकृत कम समय में पकाया जा सकता है। इसके बहुत छोटे छोटे टुकड़े होते हैं इसलिए ज्यादातर पर्ल बार्ले का इस्तेमाल सूप तथा सलाद के रूप में किया जाता है।

 

5. गुच्छे बार्ले | Barley Flakes

गुच्छे बार्ले लुढ़का हुआ होता है जो कि जौ की तरह दिखता है। इसके दाने को काट कर उबाला जाता है फिर गुच्छे में लपेटकर सुखाया जाता है इसलिए इसको गुच्छे बार्ले कहा जाता है। इसमें फाइबर के साथ साथ अन्य पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

 

जौ के फायदे | Health Benefits of Barley in Hindi

जौ के यदि फायदों के बारे में बात की जाए तो बता दें कि जौ के एक नहीं बल्कि स्वास्थ्यवर्धक अनेक फायदे हैं। इसमें मधुमहे, रक्तचाप, ह्रदय की कई गम्भीर रोंगो को ठीक करने की क्षमता होती है। तो आइये दोस्तों जौ के कुछ महत्वपूर्ण फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

1. एनीमिया रोग में है फायदेमंद

एक वैज्ञानिक शोध के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि अन्य देशों की महिलाओं की तुलना में भारतीय महिलाओं में एनीमिया रोग सर्वाधिक पाया जाता है। आपको बता दें कि एनीमिया होने के कई कारण होते है किन्तु एनीमिया होने का मुख्य कारण हमारे शरीर में आयरन की कमी का होना है। आयरन की कमी के कारण हीमोग्लोबिन का बनना सामान्य से कम हो जाता है। अतः रक्त में आयरन की कमी होने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है जिसकी वजह से एनीमिया रोग हो जाता है। इस कमी को दूर करने के लिए जौ का उपयोग किया जा सकता है। जौ (Barley) में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसका सेवन करने से शरीर में खून का स्तर बढ़ता है जिससे कि हीमोग्लोबिन का स्तर भी संतुलित हो जाता है।

 

2. यूरीन समस्याओं के लिए है फायदेमंद

आज के समय में यूरीन एक आम समस्या बन गई है जो कि महिलायों और पुरुषों दोनों में देखी जाती है। यह समस्या उस समय उत्पन होती है जब शरीर के मूत्राशय और इसकी नली बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाती है। इसके आलावा यूरिन समस्या उत्पन होने के और भी कई कारण है जैसे कि मधुमेह (diabetes) का होना, लंबे समय तक पेशाब रोके रखना, मूत्राशय की ठीक तरह से साफ-सफाई नहीं करना, गर्भावस्था के समय इन्फेक्शन हो जाना आदि से यूरीन से सम्बंधित समस्या हो जाती हैं।

यूरीन समस्या होने की वजह से बार-बार पेशाब लगना, पेशाब करते समय जलन होना, पेशाब का कम आना आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि समय रहते इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया तो, यह गंभीर समस्या बन जाती हैं। यूरीन समस्याओं को ठीक करने के लिए जौ एक बहुत ही गुणकारी औषधि है। यूरीन इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए जौ का पानी पीना चाहिए। जौ के पानी का सेवन करने से पेशाब के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जिसकी वजह से यूरीन से सम्बंधित सभी समस्याओं का अंत हो जाता है।

 

3. कैंसर रोग को रोकने के लिए है फायदेमंद

जैसा कि हमें विदित है कि कैंसर एक भयंकर रोग हैं और यह रोग कई तरह का होता है। यदि किसी को कैंसर हो जाता है तो इसका इलाज करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए कैंसर जैसे रोंगो को रोकना अति आवश्यक हैं। बता दें की जौ में कैंसर को रोकने के लिए जरुरी तत्व पाए जाते हैं जो मानव शरीर को कैंसर रोग होने से बचाते हैं। जौ के साबुत अनाज में फ्लेवोनाइड्स, फाइटोकेमिकल्‍स, फोलेट होते हैं जो कैंसर जैसी बीमारी की रोकथाम करते हैं। इसके अलावा जौ में एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण पाए जाते हैं। एंटी-कार्सिनोजेनिक एक ऐसा तत्व हैं जो कि अनेक तरह के रोगों को ठीक करने की क्षमता रखता हैं। कैंसर को रोकने के लिए जौ के दानों का, जौ के पानी का तथा जौ के घास के जूस का इस्तेमाल किया जाता है।

 

4. हृदय संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए है फायदेमंद

ह्रदय मानव शरीर का एक मत्वपूर्ण अंग हैं जिसको स्वस्थ रखना अति आवश्यक है। ह्रदय से सम्बंधित रोग वर्तमान समय में गंभीर समस्या बन गए हैं। बता दें कि ह्रदय रोग को चिकत्सक की भाषा में कार्डियोवास्कुलर कहा जाता है। ह्रदय से संबंधित रक्त वाहिका रोग, ह्रदय की धड़कन बंद होना या कम धड़कना, कोरोनरी धमनी रोग, दिल में छेद का होना आदि रोग हैं। ह्रदय रोग होने के अनेक कारण है जैसे कि अस्वस्थ भोजन का सेवन करना, व्यक्ति की दिनचर्या का गलत होना, अधिक वजन का होना, धूम्रपान करना, व्यायाम नहीं करना, तनाव में रहना, ह्रदय धमनी में कोलस्ट्रोल का जमना, गलत दवाइयों का सेवन करना, आदि कारणों से ह्रदय सम्बन्धी रोग हो जाते हैं।

दोस्तों जब ह्रदय धमनी में कोलस्ट्रोल की अधिकता हो जाती है तो यह ह्रदय पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जिसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति ह्रदय रोग से ग्रस्त हो जाता है। इस रोग से उभरने के लिए जौ का सेवन बेहद फायदेमंद रहता है। जौ के बीज में नियासीन पाया जाता है जो कोलस्ट्रोल और लिपोप्रोटीन के स्तर को कम करता है साथ ही जौ के पानी में भी एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं जो कि कोलस्ट्रोल को नियंत्रित करते हैं तथा ह्रदय को विषाक्त पदार्थों से बचाने का कार्य भी करते हैं। इसके अतरिक्त जौ में फाइबर, पोटैशियम, फोलेट और विटामिन बी 6 की भरपूर मात्रा पाई जाती है जिसकी वजह से ह्रदय सम्बन्धी समस्याएं कम हो जाती हैं।

 

5. पाचन क्रिया और कब्ज के रोग में है फायदेमंद

जो के इस्तेमाल से पाचन तंत्र मजबूत बनता है जिसकी वजह से भूख ठीक तरह से लगती है। बता दें कि हाई फूड पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति कब्ज रोग से ग्रस्त हो जाता है। कब्ज एक ऐसा रोग है जो अपने साथ अनेक रोंगो को जन्म देता है। यह रोग खराब पाचन तंत्र की वजह से होता हैं। यदि किसी व्यक्ति का पाचन तंत्र ठीक नहीं है तो वह कितना भी अच्छा पौष्टिक आहार का सेवन करता रहे तो भी वह पौष्टिक तत्व उसके शरीर को नहीं मिलते हैं। इसलिए पाचन तंत्र का हमेशा ठीक रहना आवश्यक है। जौ (barley) में घुलनशील और अघुलनशील फाइबर की मात्रा पाई जाती है जो कब्ज और पाचनतंत्र को ठीक करता है। इसके अतरिक्त बार्ले का पानी पाचन और कब्ज को ठीक करने के लिए रामबाण औषधि का काम करता है।

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6. मधुमेह रोग में है फायदेमंद

मधुमेह रोग एक जटिल रोग है। प्रत्येक दो में से एक घर में मधमेह के रोगी को देखा जा सकता है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी व्यक्ति को घेर ले तो फिर उस व्यक्ति का जीवन भर पीछा नहीं छोड़ती है। इसके अलावा यह एक ऐसा रोग है जो कई गंभीर समस्याओं को निमंत्रण देता है। मधुमेह रोगी को आँखों में जलन होना तथा लीवर और किडनी डैमेज जैसी कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। मधुमेह रोगी को चिकत्सक फाइबर का सेवन करने की सलाह देते हैं। जैसा कि आपको हम ऊपर बता चुके हैं कि जौ में फाइबर की मात्रा अत्यधिक पाई जाती है जो शुगर को नियंत्रित करती है। जौ (barley) का सेवन करने से मधुमेह के रोगी को आराम मिलता है तथा जो मधुमेह के रोग से ग्रस्त नहीं है यदि वह जौ का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं तो मधुमेह रोग होने का खतरा नहीं होता है।

 

7. वजन कम करने के लिए है फायदेमंद

आजकल दस में से आठ व्यक्ति अपने बड़े हुए वजन की वजह से तनाव में रहते हैं। कुछ व्यक्ति अपने गलत खान-पान के कारण वजन बड़ा लेते हैं फिर उसको कम करने की कोशिश करते हैं जबकि कुछ लोग फिट रहने के लिए अपना वजन कम करते हैं। बता दें कि बॉडी को फिट रखने वाले लोग जरा भी अपने वजन को नहीं बढ़ने देते हैं। इसलिए वजन को कम करने के लिए तमाम तरह की एक्सरसाइज और दवाइयों का सेवन करते हैं। जब इन उपायों से भी वजन कम नहीं होता है तो व्यक्ति कठोर डाइट का पालन करते हैं अर्थात अपने आहार से भोजन का सेवन कम कर देते हैं। दोस्तों आपको बता दें कि इस तरह से वजन कम करने से शरीर कमजोर हो जाता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है जिसकी वजह से शरीर में अन्य रोगों का उत्पन होने का भय बना रहता है।

वजन को कम करने के लिए संतुलित आहार का सेवन करना जरुरी होता है। वजन कम करने के लिए ऐसे अनाज का सेवन करना चाहिए जिसमें आवश्यक विटामिन, खनिज और पौष्टीक तत्व पाए जाते हों। तो दोस्तों आपको बता दें कि जौ एक ऐसा प्रभावकारी अनाज है जो कि वजन को बहुत जल्दी कम कर देता है। जौ में फाइबर की मात्रा अत्यधिक पाई जाती है और फाइबर एक ऐसा तत्व है जो वजन को जल्द से जल्द कम कर देता है। वजन कम करने के लिए जौ का पानी, जौ की रोटी, उबले हुए जौ के दानों का उपयोग किया जाता है।

 

8. हड्डियों को मजबूत बनाने में है फायदेमंद

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए अपने आहार में कई जरुरी पौष्टिक तत्वों को लेने की आवश्यकता होती है। अधिकतर हम सुनते आते हैं की हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए सिर्फ कैल्शियम ही चाहिए परन्तु आपको बता दें की ऐसा नहीं है कैल्शियम के साथ साथ हड्डियों की मजबूती के लिए जिंक,आयरन, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस भी बहुत ही जरूरी हैं। अगर आप अपनी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए इन सभी चीजों को लेना चाहते हैं तो जौ (Barley) से अच्छा कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता है क्योंकि जौ में ये सभी तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

 

9. गर्मी के दिनों में है फायदेमंद

जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि जौ की तासीर ठंडी होती है अतः जब गर्मी के दिनों में जौ का सेवन किया जाता है तो यह पूरे शरीर को शीतलता प्रदान करता है। जौ में विटामिन सी पाया जाता है जो बॉडी को डीहइड्रेट होने से बचाता है। इसके अतिरिक्त गर्मी के दिनो में सूर्य की हानिकारक किरणों की वजह से सनबर्न और चेहरे पर दाग-धब्बे जैसी समस्या हो जाती है। तो जौ सूर्य की हानिकारक किरणों से चेहरे की त्वचा की रक्षा भी करता है। गर्मियों में जौ की घास का एक गिलास रस सुबह खाली पेट पीने से बहुत सारी समस्याओं का निदान हो जाता है।

 

10. पित्ताशय की पथरी में है फायदेमंद

पित्ताशय पथरी की समस्या महिलाओं और पुरुषों में बढ़ती ही जा रही है। बता दें कि पित्ताशय शरीर का एक छोटा सा अंग होता है। यह अंग लीवर के ठीक पीछे होता है। मानव शरीर में कई तरह की पथरियों की समस्या हो सकती हैं किन्तु मानव शरीर की दो पथरियों को प्रमुख माना जाता है। पहली किडनी और दूसरी पित्त की थैली होती है। पथरी किसी भी तरह की हो लेकिन उसका दर्द असहनीय होता है। डॉक्टर्स का मत है कि यदि फाइबर युक्त भोजन का सेवन किया जाए तो पथरी जैसे भयंकर रोगों से कुछ हद तक बचा जा सकता है। जौ में मुख्य रूप से फाइबर पाया जाता है जो पित्ताशय की पथरी में लाभकारी होता है।

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जौ के अन्य महत्वपूर्ण फायदे | Some Other Benefits of Barley in Hindi

1. जौ में विटामिन सी पाया जाता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

2. जौ को नपुसंकता की समस्या का निदान करने के लिए बहुत ही गुणकारी बताया है। नपुसंकता होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि मोटापा का होना, मधुमेह, रक्तचाप आदि। जौ में फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी 6 आदि भरपूर तत्व पाए जाते हैं जो की नपुसंकता की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं।

3. जौ का उपयोग गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। जौ में वह सभी जरुरी तत्व होते हैं जिनकी आवश्यकता गर्भावस्था के समय गर्भवती महिला को होती है। जौ में खून की कमी को दूर करने के लिए आयरन तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने के लिए विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके आलावा जौ में जिंक, प्रोटीन, फाइबर, नियासिन, पोटेशियम, मैग्नीशियम पाया जाता है जो गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद जरुरी होते हैं।

4. जौ (Barley) का सेवन करने से प्यास कम लगती है।

5. जौ में विटमिन सी पाया जाता है जो सूखी और बेजान त्वचा को जवां बनाता है। इसके अतरिक्त जौ चेहरे की रंगत को भी निखारता है। जौ के रस या पानी के नियमित सेवन से त्वचा में चमक आ जाती है और रंग साफ हो जाता है।

 

जौ से होने वाले नुकसान | Side Effects of Barley in Hindi

1. जौ में पोटेशियम पाया जाता है इसलिए अत्यधिक जौ के सेवन करने से हाइपरकलेमिया रोग हो सकता है।

2. जौ में फाइबर की मात्रा उच्च होती है। फाइबर का सेवन स्वस्थ के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन अत्यधिक फाइबर के सेवन से गैस, सूजन, और पेट फूलने की समस्या उत्पन हो सकती है।

3. जौ में कैल्शियम पाया जाता है जिसका बहुतायत में सेवन करने से कब्ज की समस्या उत्पन हो सकती है।

4. स्तनपान कराने वाली महिलाओं को जौ का सेवन नहीं करना चाहिए।

 

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तो दोस्तों ये थी जौ (barley in hindi) से जुड़ी कुछ जानकारी। हम आशा करते हैं की आपको जौ के समस्त फायदे समझ आ गए होंगे। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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