Golden temple in hindi

Golden temple in Hindi : स्वर्ण मंदिर (गोल्डन टेम्पल) सिख धर्म का सबसे पावन और प्रमुख धर्म स्थल है। इसे श्री हरिमन्दिर साहिब और दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग इसे अत सत तीरथ के नाम से भी जानते हैं। हरमिंदर साहिब (golden temple) सिखों के पांच तीर्थ स्थलों में से सबसे महत्पूर्ण है। बता दें की यही वो स्थान है जहाँ सिखों के पवित्र धरम ग्रंथ आदि ग्रन्थ को भी स्थापित किया गया था। यह वास्तव मैं एक गुरुद्वारा है परन्तु इसे स्वर्ण मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस गुरूद्वारे का ऊपरी हिस्सा सोने का बना हुआ है। स्वर्ण मंदिर पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में स्थित है। पंजाब आज गोल्डन टेम्पल के नाम से सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। यहाँ रोजाना हजारों सांगत (गुरूद्वारे में आये हुए लोगों को सांगत के नाम से पुकारा जाता हैं) और पर्यटक आते हैं। यहाँ सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि विदेश से भी प्रतिवर्ष भारी मात्रा में लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।

 

स्वर्ण मंदिर का इतिहास | History of Golden Temple In Hindi

दरबार साहिब का निर्माण कार्य 1588 में शुरू हुआ था। सन 1588 में दरबार साहिब की नींव सिखों के चौथे गुरू रामदास जी ने रखवाई थी। गुरु रामदास जी का मानना था की दरबार साहिब में गैर सांप्रदायिक लोग भी एकजुट हो कर ईश्वर की आराधना कर सकें इसलिए उन्होंने इसकी नीव लाहौर के सूफी संत मियां मीर से रखवाई। दरबार साहिब का निर्माण करते समय यहाँ सिखों के पवित्र धरम ग्रंथ आदि ग्रन्थ को भी स्थापित किया गया।

निर्माण होने के बाद दरबार साहिब को नष्ट करने की कोशिश कई बार की गई और कुछ लोग सफल भी हुए। लेकिन वो कहावत है न कि ”मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है” इसी बात को भक्तों की श्रद्धा ने सच कर दिखाया। गुरूद्वारे को नष्ट करने की हज़ारों कोशिशों के बाद भी कोई हमेशा के लिए अपने मंसूबे में कामियाब नहीं हो पाया। इसे जितनी बार तोड़ने की कोशिश की जाती थी उतनी ही बार इसे फिर से बनवा दिया जाता था। 19वी शताब्दी में अफगा़न हमलावरों ने दरबार साहिब का बड़ा हिस्सा नष्ट कर दिया था फिर इसे महाराजा रणजीत सिंह ने बनवाया। उन्होंने ना सिर्फ गुरूद्वारे का निर्माण कार्य पूरा करवाया बल्कि इसके ऊपरी हिस्से को सोने की परत से भी सजवाया तभी से इसे स्वर्ण मंदिर भी कहा जाने लगा।

स्वर्ण मंदिर में चारों दिशाओं में गेट बने हुए हैं। जिससे ये पता चलता हैं की यहाँ कोई भी जाति या धर्म के लोग गुरूद्वारे में आ सकते हैं। पहले के समय में कुछ विवाद और समस्यायों के कारण कई और मंदिरों में दूसरे धर्म या संप्रदाय के लोगों को जाने की अनुमति नहीं रहती थी। लेकिन इस गुरूद्वारे में शुरू से ही सभी धर्म के लोग आ-जा सकते थे। यहाँ ना पहले किसी प्रकार की रोक लगाई जाती थी और ना ही आज लगाई जाती है। स्वर्ण मंदिर का इतिहास यहाँ गुरूद्वारे के दीवार पर भी देखा जा सकता है। यहाँ की दीवारों पर गुरमुखि (सिखों की भाषा) में इतहास लिखा हुआ है।

 

स्वर्ण मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी | Information of Golden Temple In Hindi

swarn mandir image अभी हमने आपको स्वर्ण मंदिर के इतिहास के बारे में बताया की इसे कब और किसके द्वारा बनाया गया था। चलिए अब आपको एक-एक करके स्वर्ण मंदिर से जुड़ी कुछ और रोचक जानकारियों के बारे में बताते हैं।

 

स्वर्ण मंदिर का अकाल तख्त | Akal Takht of Golden Temple In Hindi

अकाल तख्त का निर्माण 1606 में किया गया था। ये अकाल तख्त आपको गुरूद्वारे के बहार निकलते ही सीधे हाथ पर दिखेगा। अकाल तख्त का मतलब हैं ‘कई काल से परमात्मा का सिंहासन’। यहाँ पर सिख कम्युनिटी से जुड़े कई जरूरी फैसले लिए जाते हैं। सिखों के सब तख्तों में से अकाल तख्त सबसे पहला तख्त है। इसे गुरु हरगोबिंद जी जो सिखों के छठे गुरु थे उन्होंने न्याय सम्बंधित मामलों पर विचार करने के लिए बनाया था। अकाल तख्त की नींव बाबा बूढ़ा, भाई गुरदास और गुरु हरगोबिंद जी ने रखी थी। अकाल तख्त पहले मिट्टी से बनाया गया था परन्तु हमले में नष्ट होने के बाद जब इसका पुनः निर्माण किया गया तब इसे संगमरमर से बना दिया गया।

 

स्वर्ण मंदिर का सरोवर | Lake of Golden Temple In Hindi

swarna mandir lake हरमंदिर साहिब में बने सरोवर को श्री गुरु रामदास जी ने ही बनवाया था। स्वर्ण मंदिर इस सरोवर के बीचों बीच ही बना है। स्वर्ण मंदिर तक पहुंचने के लिए सरोवर से एक रास्ता दिया गया है। बता दें की स्वर्ण मंदिर के इस सरोवर का जल अमृत के सामान माना जाता है। इसलिए इस सरोवर को अमृतसर कहा गया है। इतना ही नहीं इस शहर का नाम भी इस सरोवर के नाम पर ही रखा गया है। सिख धर्म में ये मानना हैं की सरोवर में स्नान करने से आपके सारे दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं। इसलिए काफी दूर-दूर से लोग यहाँ स्नान करने के लिए भी आते हैं।

यहाँ दुखभंजनी बेरी नाम का स्थान भी है जिसके पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है। कहानी कुछ इस प्रकार है कि एक बार एक राजा की पांच बेटियां थीं जब उस राजा ने अपनी बेटियों से पूछा की आप किसका दिया हुआ भोजन खाती हैं, तो चार बेटियों ने बोला की पिताजी आपका दिया हुआ, लेकिन जब पांचवी बेटी से पूछा गया तो उसने कहा की हम सभी भगवान का दिया हुआ खाते हैं और सब उसी की देन है। ऐसा सुन कर राजा क्रोधित हो उठा और उसने अपनी पांचवी पुत्री का विवाह एक कोढ़ी व्यक्ति से कर दिया। राजा ने अपनी पुत्री से कहा की ये सब अगर भगवान का दिया है तो तुम अब से अपनी रोजी रोटी उसी भगवान के भरोसे रखो।
राजा की बेटी होने के बाबजूद भी अब उस लड़की को दो वक़्त की रोटी के लिए दर-दर भटकना पड़ता था। परन्तु इसके बाद भी लड़की ने भगवान पर भरोसा बनाये रखा। फिर एक दिन ये लड़की शादी के बाद अपने पति को इसी तालाब के किनारे बैठकर रोटी की तलाश में निकल गई। तभी वहाँ एक कौवा आया और उसने उस तालाब में डुबकी लगाई जब कौवा बहार निकला तो वो हंस बन गया था। ये देखकर कोढ़ी व्यक्ति अचंबित हो गया और सोचने लगा अगर ये कौवा, हंस बन सकता हैं तो मेरा कोढ़ सही क्यों नहीं हो सकता? इसके तुरंत बाद ही कौड़ी व्यक्ति ने भी तालाब में डुबकी लगाई और जब वो बहार निकला तो उसका कोढ़ एक दम सही हो गया था। बता दे कि ये वही तालाब है जिसमे आज स्वर्ण मंदिर स्थित है। कहते हैं यहाँ इस सरोवर में स्नान करने से सारे दुःख नस्ट हो जाते हैं। पहले यह सरोवर बहुत छोटा था और यहाँ काफी बेरी के पेड़ हुआ करते थे अब सरोवर को काफी बड़ा कर दिया गया है लेकिन आज भी यहाँ किनारे पर एक बेरी का पेड़ मौजूद है। बता दें कि ये पूरी व्याख्यान गुरूद्वारे कि एक दीवार पर भी अंकित है।

 

स्वर्ण मंदिर में जाने के नियम | Rules that you should keep in mind

स्वर्ण मंदिर में हर वर्ग और हर धर्म के लोग जा सकते हैं परन्तु यहाँ जाने के साथ ही कुछ ऐसे भी नियम हैं जो ध्यान में रखना बेहद जरूरी हैं। चलिए आपको एक एक करके इन नियमों से अवगत करवाते हैं।

1. स्वर्ण मंदिर में जाने से पहले आपको अपना सर ढकना होगा। इसके लिए लड़के अपने रुमाल से और लड़कियां अपने दुप्पटे से अपना सर ढँक सकती हैं।
2. घुटनो के ऊपर के किसी भी कपड़ों में आप गुरूद्वारे में प्रवेश नहीं कर सकते। बेहतर होगा आप यहाँ पूरे बदन ढंके हुए कपड़े ही पहन कर आएं।
3. मदिरा, मास, सिगरेट या ड्रग्स का सेवन करके यहाँ आना या ये पदार्थ यहाँ लाना वर्जित है।
4. स्वर्ण मंदिर के अंदर तस्वीरें लेने की अनुमति नहीं है। अगर आप तस्वीरें लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको विशेष अनुमति पहले से ही लेनी पड़ेगी।
5. स्वर्ण मंदिर में शान्ति बनाये रखने की सलाह दी जाती है। यहाँ शोर करना या ऊँची आवाज में बात करने की मनाही है।

 

स्वर्ण मंदिर का लंगर | Langar in Golden Temple in Hindi

Langar image लंगर गुरूद्वारे में दिए जाने वाले भोजन को कहते हैं। लंगर की प्रथा 25वी सदी में सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी ने शुरू की थी। लंगर की प्रथा गुरु नानक जी ने ऊंच-नीच और जात-पात को हटाने के लिए चलाई थी। भगवान के घर में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता सब एक सामान ही होते हैं इसलिए लंगर में सभी लोगों को एक साथ बैठा कर भोजन परोसा जाता है। लंगर आपको श्री हरमिंदर साहिब में भी मिलेगा। यहाँ आप कभी भी किसी भी समय जा कर लंगर घर से भोजन कर सकते हैं। यहाँ पर सेवादार (जो गुरूद्वारे में सेवा करते हैं) वो आपको भोजन परोसते हैं। यहाँ का लंगर घर इतना विशाल है की इसमें एक बार में 5 हजार लोग एक साथ बैठ कर भोजन कर सकते हैं। यहाँ पर रोजाना अनुमानित 30 से 40 हजार लोग भोजन करते हैं। भोजन की व्यवस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समि‍ति‍ द्वारा की जाती है।

 

कैसे पहुंचे स्वर्ण मंदिर | How to reach Golden Temple

जैसा की बताया स्वर्ण मंदिर पंजाब राज्य के अमृतसर शहर में स्थित है। तो अमृतसर आप बस, ट्रैन या हवाई जहाज से पहुँच सकते हैं। चलिए आपको एक एक करके तीनो संसाधनों के बारे में विस्तार से बताते हैं।

  • हवाई जहाज से पहुंचिए अमृतसर | Reach Amritsar by Aeroplane

अमृतसर में राजा सांसी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा है। यहाँ के लिए आपको ना सिर्फ भारत के कई बड़े शहरों से सीधे फ्लाइट मिल जाएगी बल्कि भारत के अलावा कई अन्य देशों से भी अमृतसर के लिए सीधे हवाई जहाज की सुविधा उपलब्ध है।

  • ट्रैन से पहुंचिए अमृतसर | Reach Amritsar By Train

अमृतसर का रेलवे स्टेशन पंजाब के बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है। जंक्शन होने के कारण यहाँ ट्रैन की कनेक्टिविटी काफी अच्छी है। अमृतसर आने के लिए देश के कोने कोने से ट्रेनें उपलप्ध हैं। आप दिल्ली या मुंबई से ट्रेन पकड़ कर बड़ी आसानी से अमृतसर पहुँच सकते हैं।

  • सड़क से पहुंचिए अमृतसर | Reach Amritsar by car or by bus

अमृतसर सड़क मार्ग द्वारा भारत के कई हिस्सों से जुड़ा हुआ है। यही वजह है की यहाँ आने के लिए जगह जगह से कई लक्ज़री बसें चलती हैं। आप स्वयं की गाडी से भी अमृतसर आ सकते हैं। दिल्ली से अमृतसर की दूरी 500 किलोमीटर है। अमृतसर आने के लिए आप दिल्ली से NH44 या NH52 से होते हुए अमृतसर पहुँच सकते हैं।

 

स्वर्ण मंदिर जाने का उचित समय | Best time to visit Golden Temple

वैसे तो स्वर्ण मंदिर साल के किसी भी वक़्त आया जा सकता है। परन्तु अगर आप यहाँ बिना भीड़ भाड़ के घूमना चाहते हैं तो तीज त्यौहार के समय स्वर्ण मंदिर ना आते हुए किसी दूसरे समय पर आएं। तीज त्यौहार पर होने वाली भीड़ के कारण आपको यहाँ गुरूद्वारे में थोड़ी भी देर रुकने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे में अगर आप यहाँ दरबार साहिब के अंदर हो रही गुरबाणी शांति से बैठ कर सुनना चाहते हैं तो ऐसे समय आना ठीक रहेगी जब यहाँ भीड़ न रहती हो।

 

स्वर्ण मंदिर के आस-पास घूमने की जगहें | Places to visit near Golden Temple In Hindi

स्वर्ण मंदिर अमृतसर शहर के बीचों बीच बसा हुआ है। यही वजह है की आपको स्वर्ण मंदिर के चारो तरफ अच्छा खासा मार्किट देखने को मिलेगा। आप यहाँ मार्किट में घुम कर शॉपिंग कर सकते हैं। श्री हरमंदिर साहिब के पास में ही आपको और भी गुरूद्वारे देखने व घूमने को मिलेंगे। बाबा अटल और गुरुद्वारा माता साहिब यहाँ स्वर्ण मंदिर के पास में ही है इन्हे आप पैदल घूम के भी देख सकते हैं। यहाँ पास में ही देखने के लिए ऐतिहासिक जलियांवाला बाग भी है। याद दिला दें की यही वो जगह है जहां जरनल डायर के आदेश पर कई लोगों को गोली मार दी गई थी। स्वर्ण मंदिर के आस पास देखने के लिए और भी काफी जगहे हैं जैसे की – थड़ा साहिब, गुरुद्वारा शहीद बंगा, बाबा दीप सिंह, गुरुद्वारा लाची बार, बेर बाबा बुड्ढा जी, आदि।

 

बॉलीवुड सितारे भी जा चुके हैं स्वर्ण मंदिर | Bollywood celebrities in Golden Temple

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तो दोस्तों ये थी स्वर्ण मंदिर से जुड़ी कुछ जानकारी (Golden temple in Hindi)। हम आशा करते हैं की आपको स्वर्ण मंदिर से जुडी सम्पूर्ण जानकारी (Golden temple information in hindi) का पता चल गया होगा। अगर आपको जानकारी पसंद आयी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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