About Flax seeds in Hindi: आज प्रत्येक व्यक्ति अपनी सेहत को लेकर बेहद चिंतित रहता है इसलिए वह प्रतिदिन इंटरनेट, मैगजीन आदि में सेहतमंद खाने की तलाश करता है। जब भी हम इस प्रकार के भोजन की खोज करते हैं तो एक साथ हमारे सामने अनेक विकल्प आ जाते हैं। इस वजह से अधिकतर लोग इस उलझन में पड़ जाते हैं कि क्या खाएं और क्या नहीं खाएं।
कई लोग अपनी सेहत को तंदरुस्त बनाने के लिए कई तरह के बीजों का सेवन करना पसंद करते हैं जैसे कि मेथी के बीज, मटर के बीज, कद्दू के बीज आदि। आज हम आपको इन सब से हटके एक खास तरह के बीज के बारे में बताने जा रहे हैं जो की बेहद ही पौष्टिक होता है। जी हाँ हम अलसी (Flax Seeds) का जिक्र कर रहे हैं। अलसी के कई फायदे हैं और यह कई तरह से और कई चीजों में उपयोग की जाती है। अलसी वो चीज है जो आपकी स्वस्थ्य सम्बन्धी कई जटिल समस्याओं का निवारण कर सकती है। तो चलिए आज आपको अलसी के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हैं।
अलसी क्या है | What is Flax Seeds in Hindi
अलसी एक प्रकार का छोटा सा बीज होता है जिसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। अलसी का वैज्ञानिक नाम Linum usitatissimum होता है एवं हिंदी में अलसी को तीसी व अंग्रेजी में इसे Flax Seeds के नाम से जाना जाता है।
दरअसल अलसी के बीज हलके कड़वे लेकिन बेहद गुणकारी होते हैं। अलसी के बीज का इस्तेमाल यूं तो खान पान की विभिन्न चीजों में किया ही जाता है साथ ही flax seeds का तेल निकाल कर उसका भी उपयोग दुनियाभर में होता। दिन प्रतिदिन अलसी के इतने अधिक इस्तेमाल की वजह से ही यह प्रचलित खाद्य पदार्थ बन गई है।
अलसी की तासीर :
दोस्तों अलसी की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
अलसी का पौधा कैसा होता है | Flax Plant in Hindi
अलसी का पौधा एक महत्पूर्ण पौधा है क्योंकि इसके पौधे में तने से लेकर ऊपर तक अमूल्य रेशा प्राप्त होता है। बता दें कि अलसी का पौधा बेहद खूबसूरत झाड़ीनुमा होता है। इसकी ऊंचाई लगभग 2 से 4 फीट की होती है। अलसी की पत्तियां तीन भागों में बटी हुई नुकीली व ऊपर की तरफ उठी हुई लम्बी होती हैं। यदि आप अलसी के फूलों से इसके पौधे की पहचान करना चाहते हैं तो बता दें अलसी के फूल हल्के नीले व सफेद (आसमानी) रंग के होते है। इसके अलावा अलसी के पौधे में भूरे रंग के बीज लगते हैं।
खास बात यह है कि शोधकर्ताओं के मुताबिक अलसी के बीजों में विषाक्त ग्लुकोसाइड नामक तत्व पाया जाता है इसलिए अलसी के पौधे का सेवन करने से पशुओं की मृत्यु हो सकती है लेकिन अलसी के बीज पकने के बाद दुर्लभ जड़ी बूटी बन जाते हैं। इसके अतरिक्त अलसी तिलहन फसलों में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है। अलसी को एक व्यापारिक फसल भी माना जाता है क्यूंकि इसके बीजों में से उत्पन्न 20 प्रतिशत तेल खाद्य के रूप में प्रयोग किया जाता है व 80 प्रतिषत उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।
अलसी का सर्वाधिक उत्पादन कहाँ होता है | Where did Flax Seeds found
अलसी का उत्पादन सम्पूर्ण विश्व में किया जाता है लेकिन सर्वाधिक उत्पादन की अगर बात की जाए तो इसमें कनाडा, रूस, कजाकिस्तान, चीन और भारत जैसे देशों के नाम सामने आते हैं। यदि भारत में सर्वाधिक उत्पादन वाले राज्य की बात की जाए तो बता दें कि भारत के मध्यप्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ, बिहार आदि राज्यों में अलसी का उत्पादन भारी मात्रा में किया जाता है।
करने वाला अलसी का पहला देश कनाडा है इसके बाद दूसरा देश चीन है एवं तीसरे स्थान पर अलसी का आधी उत्पादन करने वाला देश भारत है। यदि भारत में सबसे अधिक उत्पादन किस राज्य में होता तो बता दें कि भारत के मध्यप्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्णाटक, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ, बिहार आदि राज्यों में सर्वाधिक उत्पादन किया जाता है।
अलसी के प्रकार | Types of Flax Seeds in Hindi
अलसी ओमेगा 3 फैटी एसिड से युक्त बीज है जो कि मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है।
1. पीली एवं सुनहरी अलसी।
2. भूरी या सफेद अलसी।
अलसी की उन्नत किस्में | Advanced varieties of Flax Seeds in Hindi
अलसी में अनेक प्रकार की किस्में पाई जाती हैं एवं इसकी सभी किस्में तेल की मात्रा, सिंचाई वाला स्थान व उत्पादन की क्षमता के अनुरूप तैयार की जाती हैं। यदि आप अलसी की किस्मों को विस्तार से जानना चाहते हैं तो चलिए आपको बताते हैं अलसी की उन्नत किस्में कौन कौन सी हैं।
1. जे. एल. एस. – 66
अलसी कि इस किस्में के पौधे की लम्बाई लगभग 2 फिट की होती है एवं इसकी खेती असिंचित स्थानों पर की जाती है।
2. आर एल – 933
इस प्रकार की किस्म में एक प्रमुख्य विशेषता पाई जाती है कि इसके पौधों में उखटा व रोली जैसे रोग नहीं लगते हैं एवं अलसी के इस प्रकार की किस्म के बीजों में तेल की मात्रा 42 प्रतिशत तक पाई जाती है।
3. टी 397
इस किस्म के पौधे की शाखाएं अधिक होती होती है एवं इसकी लम्बाई भी 2 फिट से अधिक होती है। अलसी की इस किस्म के बीजों में तेल की मात्रा 44 प्रतिशत तक पाई जाती है।
4. आर एल सी- 6
अलसी की इस किस्में को सिंचित और असिंचित दोनों तरह की भूमि पर आसानी से उगाया जा सकता है।
5. जवाहर 23
अलसी की इस पौधे की शाखाएं पीले रंग की होती है एवं फूलों का रंग सफेद होता है। अलसी की इस प्रकार की किस्म में बीजों से लगभग 43 प्रतिशत तेल निकलता है।
अलसी के विभिन्न नाम | Some other names of Flax Seeds
अलसी का पौधा Linaceae कुल का पौधा है जिसका एक नहीं अपितु कई नाम है। इसलिए अब हम आपको अलसी के विभिन्न प्रकार के नामों से परिचित करवाने वाले हैं।
हिंदी में अलसी का नाम – तीसी
संस्कृत में अलसी का नाम – नीलपुष्पिका, मसरीना
अंग्रेजी में अलसी का नाम – फ्लक्स सीड्स (Flax seed), लिनसीड (Linseed)
कन्नड़ में अलसी का नाम – सेमीअगासे
तमिल में अलसी का नाम – अलिविराई
तेलगु में अलसी का नाम – उल्लुसुलू
पंजाबी में अलसी का नाम – अलीश
मराठी में अलसी का नाम – जवस
बंगाली में अलसी का नाम – मसीना
मलयालम में अलसी का नाम – चेरुकाना
अलसी में पाए जाने वाले विभिन्न पौष्टिक तत्व | Nutrients of Flax Seeds in Hindi
अलसी के बीज एवं अलसी के पत्तों में अनेक प्रकार के गुणकारी तत्व पाए जाते हैं जो अलसी को परिपूर्ण औषधि बनाते हैं। बता दें कि अलसी में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन सी, विटामिन बी 6, मैग्नीशियम, ओमेगा 3 फैटी एसिड, पोटैशियम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, ऊर्जा, फास्फोरस, जिंक, कॉपर, सोडियम, मैगनीज, विटामिन-ई, विटामिन डी, विटामिन-के, राइबोफ्लेविन, नियासिन, थियामिन के साथ ही अलसी के बीजों में एंटीफंगल, एंटीहाइपरटेन्सिव, एंटीडायबिटिक, एंटीट्यूमर, एंटीथ्रोम्बिक, एंटीऑक्सीडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
अलसी के अनोखे फायदे | Benefits of Flax Seeds in Hindi
अलसी में पाए जाने वाले विटामिन्स एवं खनिजों को जानने के बाद निश्चित ही आपको विश्वास हो गया होगा कि अलसी का इस्तेमाल करने के कई फायदे हो सकते हैं। परन्तु अलसी के स्वास्थवर्धक लाभ कौन कौनसे हैं अब दिमाग में यह प्रश्न आता है। तो चलिए अब हम आपको अलसी से होने वाले सेहतमंद फायदों से परिचित करवाते हैं।
1. रूमेटॉयड आर्थराइटिस रोग में करें उपयोग
रूमेटॉयड आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) एक दीर्घकालिक स्व प्रतिरक्षित रोग है जो शरीर के जोड़ों और अन्य ऊतकों में विकृति उत्पन्न करता है। इस रोग में हाथ और पैरों के जोड़ प्रभावित होते हैं जिसके फलस्वरूप जोड़ों में सूजन व दर्द होना एवं धीरे धीरे जोड़ दर्द से क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। सामान्यतः सुबह उठने पर हाथ और पैरों के छोटे छोटे जोड़ों में दर्द एवं जकड़न होती है जो एक घंटे से अधिक समय के लिए रहती है।
बता दें यह रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होता है और यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इस रोग को ठीक करने के लिए व इससे शरीर का बचाव करने के लिए आप अलसी का उपयोग कर सकते हैं। अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड एवं लिगनेन एसिड (Lignan acid) पाया जाता है जो दर्द, जकड़न एवं सूजन को होने से रोकता है। रूमेटॉयड आर्थराइटिस में आप अलसी के बीजों के अल्वा अलसी के तेल को पनीर अथवा दही के साथ मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
2. वात-कफ और पित्त रोगों में है लाभकारी
दोस्तों कई रोग ऐसे होते हैं जो दवाइयों के सेवन से आसानी से ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ रोग ऐसे भी होते हैं जो जटिल होते हैं एवं अनेक प्रकार के बावजूद भी ठीक नहीं होते। वात कफ और पित्त ऐसे ही रोग हैं जिनका यदि समय पर उपचार नहीं किया जाए तो यह लोगों का वर्षों तक पीछा नहीं छोड़ते हैं इसलिए वात कफ व पित्त रोगों को त्रिदोष रोग भी कहा जाता है।
अक्सर यह रोग गलत खान के कारण उत्पन्न होते हैं एवं जब व्यक्ति अपने खान पान में सुधार नहीं करता है तो दिन प्रतिदिन यह रोग बढ़ते ही जाते हैं जिसकी वजह से शरीर धीरे-धीरे अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाता है। वात-कफ और पित्त रोगों को ठीक करने के लिए आप अलसी में तुलसी की पत्तियां और मरिच मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
3. कब्ज है तो करें अलसी का उपयोग
सभी लोगों में से कोई न कोई कभी न कभी कब्ज का शिकार हो ही जाता है। कई कारणों की वजह से मल बड़ी आंत के अंत तक पहुंचने से पहले कठोर हो जाता है एवं मल आंत की दीवार से चिपक जाता है जिसकी वजह से बड़ी आंत गुब्बारे की तरह फूल जाती है जिसकी वजह से आंत की संकुचन और विमोचन की गति धीमी हो जाती है जिससे कब्ज रोग उत्पन्न होता है।
यदि सामान्य कब्ज रोग का इलाज समय पर नहीं किया जाता है तो यह गंभीर कब्ज का रूप धारण कर लेता है इसलिए इस रोग का जल्द से जल्द निराकरण करना चाहिए। यदि आप कब्ज की समस्या से झूझ रहे हैं तो आपको सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ flax seeds का सेवन करना चाहिए। ऐसा प्रतिदिन करने से आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी कब्ज की समस्या ठीक होने लगेगी।
4. बावासीर रोग में उपयोगी है अलसी
बवासीर अरबी शब्द है जो बासुर से बना है। बासुर का अर्थ मस्सा होता है अतः इस रोग में शरीर की गुदाओं की शिराओं के फूलने से मस्सा या गांठ बन जाती है जिसकी वजह से रोग को मल त्याग करते समय कठनाई होती है एवं मल के साथ खून आने लगता है जिसको हम खूनी बावासीर के नाम से जानते हैं। इसके आलावा कब्ज से होने वाले बावासीर को हम सुखी या बादी बावासीर के नाम से जानते हैं। दोनों ही रूपों में बावासीर पीड़ादायक होने के आलावा शर्मिंदगी दायक भी होता है इसलिए अधिकतर लोग इस रोग का सही समय पर इलाज नहीं करवाते हैं जिसकी वजह से यह रोग बढ़ जाता है।
दोस्तों यदि आप इस रोग से गुजर रहे हैं तो आप अलसी का सेवन कर सकते हैं क्यूंकि अलसी में फाइबर, विटामिन सी एवं एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो बावासीर रोग में फायदेमंद साबित होते हैं।
5. गाउट रोग में फायदेमंद है अलसी
गाउट रोग भी जोड़ो से सम्बंधित रोग है मुख्या रूप से यह रोग गठिया से सम्बंधित है जिसमें शरीर के जोड़ो में अचानक से दर्द होने लगता है। गाउट रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरषों को अधिक होता है। बता दें कि शरीर के सामान्य स्थानों पर जब Uric acid जमा हो जाता है तो इसके कारण यह रोग शरीर को अपना शिकार बना लेता है। गाउट में अलसी बेहद ही कारगार साबित हुई है। एक शोध के मुताबिक ज्ञात हुआ है कि flax seeds यूरिक एसिड के स्तर को कम करती है। अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड एवं लिगनेन एसिड्स प्रदाह को शांत करते हैं।
यदि आप गाउट रोग से पीड़ित हैं तो आपको अलसी का सेवन करना लाभकारी साबित होगा। अलसी का उपयोग गाउट रोग में आप रोटी के रूप में कर सकते हैं। इसके आलावा आप चार छोटी चम्मच अलसी के पाउडर को आधा कप चारकोल पुलटिस में मिलाकर लेप तैयार कर लें अब इस लेप को जोड़ों पर लगा कर पट्टी बांध लें एवं हर चार से पांच घंटे में इसकी पट्टी और चारकोल पुलटिस को बदलते रहें। बता दें चारकोल की पुट्लिस शरीर से टॉक्सिन एवं यूरिक एसिड को खिंच लेती है एवं जोड़ों के दर्द में राहत पहुंचाती है।
6. मोटापे को कम करने में है प्रभावी
वर्तमान समय में दुनियाभर के करोड़ों लोग मोटापे से परेशान हैं जिसकी वजह से वह अपने सामान्य काम काज भी ठीक से नहीं कर पाते हैं। कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनको मोटापे के कारण मधुमेह, हार्ट से सबंधित समस्या, नपुंसकता, अनिद्रा, तनाव आदि रोग हो जाते हैं। इसलिए यदि आपका मोटापा बढ़ गया है तो मोटापे को कम करना आपके लिए जरुरी है।
मोटापा कम करने के लिए आपको अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करने के साथ ही खान पान में बदलाव करना भी जरुरी होता है। बता दें कि अलसी में फाइबर उच्च मात्रा में पाया जाता है साथ ही अलसी में फाइटोस्टेरोल (phytosterols) भी होता है जो बड़े हुए कोलस्ट्रोल को नियंत्रित करके चर्बी को कम करने की कोशिश करता है। मोटापा कम करने के लिए आप अलसी का उपयोग काढ़े के रूप में कर सकते हैं।
7. मधुमेह रोग में असरदार है अलसी
मधुमेह ऐसा रोग है जो रोगी का पसंदीदा भोजन भी छीन लेता है क्यूंकि सामान्य रूप से यह रोग गलत खान पान के कारण ही होता है। हालाँकि मधुमेह रोग होने के कई कारण होते हैं लेकिन इसका प्रमुख्य कारण लापरवाही और गलत जीवनशैली को ही माना जाता है।
बता दें कि मधुमेह कोई सामान्य रोग नहीं है बल्कि यह बेहद ही खतरनाक होता है क्यूंकि इस समस्या से पीड़ित अनेक लोग किडनी एवं आँखों से सबंधित रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए मधुमेह पर नियंत्रण बनाये रखना बेहद जरुरी होता है। अलसी का इस्तेमाल करके आप मधुमेह पर काफी हद तक नियंत्रण पा सकते हैं। प्रतिदिन अलसी का काढ़ा बनाकर खाली पेट सेवन करके आप मधुमेह को नियंत्रण में रख सकते हैं।
8. पाचन तंत्र को करती है सही
पाचन तंत्र शरीर का एक अहम हिस्सा होता है इसलिए पाचन तंत्र का सही रहना जरुरी है। कमजोर पाचन तंत्र अनेक रोगों को बुलावा देता है जिसकी वजह से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है। पाचन तंत्र कई कारणों से ख़राब हो सकता है जैसे कि घंटों एक ही जगह बैठ कर काम करना, पानी का कम सेवन करना, गलत तरीके से खान पान करना, शारीरिक श्रम नहीं करना, सही समय पर नहीं सोना एवं सही समय नहीं उठना आदि कारण पाचन तंत्र को कमजोर बनाते हैं।
बता दें कि आप तभी अच्छा स्वास्थ पा सकते हैं जब आपका पाचन तंत्र सही होगा क्योंकि हम जो भी खाते हैं उसको सही तरीके से शरीर में पहुंचाने का काम हमारा पाचन तंत्र ही करता है। यदि आपका पाचन तंत्र ख़राब है तो आप अलसी का इस्तेमाल कर सकते हैं क्यूंकि अलसी में फाइबर, विटामिन सी, मैग्नीशियम, विटामिन बी 6 के आलावा कई तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को ठीक करने में मदद करते हैं।
9. अनिद्रा की समस्या को करती है दूर
वर्तमान समय में कम से कम 60 प्रतिशत लोग सप्ताह में कई रातें पूरी नींद नहीं ले पाते हैं। कुछ लोगों को आसानी से नींद नहीं आती है तो कुछ लोग गहरी नींद नहीं सो पाते हैं इन दोनों ही स्थिति में स्वास्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नींद की कमी से कई तरह की गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। अनिद्रा के कारण अवसाद, एंजाइटी जैसे मानसिक रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
अनिद्रा के कारण भूख का अहसास करने वाले हार्मोन्स का स्तर भी बढ़ जाता है जिसके कारण लोग अधिक मात्रा में खाने लगते हैं इसके साथ ही मेटाबॉलिज्म (Metabolism) की दर धीमी हो जाती है जिसकी वजह से व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त हो जाता है। अनिद्रा की समस्या होने पर किसी भी रोगी को इसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। अनिद्रा की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप अलसी तेल का काजल बनाकर आँखों में लगाकर सोएं। इससे अनिद्रा की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
10. सिर दर्द से आराम दिलाती है अलसी
दोस्तों सिर दर्द एक आम रोग है लेकिन इसके प्रकार कई हैं। जैसे की तनाव वाला सिर दर्द कुछ ही समय के लिए होता है परन्तु यह दर्द सम्पूर्ण सिर में होता है जबकि साइनस वाला दर्द सिर के किसी एक भाग को प्रभावित करता है। इसके आलावा माइग्रेन होने पर भी सिर दर्द होता है। दोस्तों यदि आपको सामान्य सिर दर्द है तो आप उसको घरेलु उपचार से ठीक कर सकते हैं लेकिन यदि आपको प्रतिदिन सिर दर्द होता है और बहुत ज्यादा होता है तो आपको चिकत्सक का परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
रोजाना होते सिर दर्द से सिर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिसकी वजह से रोगियों को अनेक कठनाइयों का समाना करना पढ़ सकता है। यदि आपको किसी भी समय सिर दर्द होता है तो आप अलसी के बीजों का लेप बनाकर अपने सिर पर लगाएं इस उपाय को करने से आपको दर्द में आराम मिलेगा।
11. दमा रोग में लाभकारी है इसका प्रयोग
जीव जंतु, पेड़ पौधे एवं मानव साँस के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं। दमा (Asthma) साँस से सम्बंधित एक ऐसी बीमारी होती है जिसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है। दमा रोग होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती एवं श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है जिसके कारण रोगी को साँस लेने में कठनाई होती है। इसके साथ ही दमा से प्रभावित लोगों को घबराहट और खांसी भी होती है। इससे साँस फूल जाती है या फिर तेज गति से साँस चलने लगती है जिसको सही समय पर नियंत्रित नहीं कर पाने की वजह से रोगी की मृत्यु भी हो जाती है।
बता दें की दमा रोग वात एवं कफ दोष के विकृत होने से होता है। यदि आपको दमा रोग है तो आपको Alsi का उपयोग करना फायदेमंद साबित होगा। अलसी में ओमेगा 3 फैटी एसिड एवं एन्टीऑक्सडेंट तत्व पाए जाते हैं जो दमा रोगी के लिए लाभकारी होते हैं। दमा रोग से ग्रस्त लोगों के लिए flax seeds का काढ़ा बनाकर सेवन करना लाभदायक होता है।
12. आँखों की समस्याओं में है फायदेमंद
दोस्तों आपने एक कहावत आँखों को लेकर अवश्य ही सुनी होगी कि आंखें हैं तो जहान है वरना दुनिया वीरान है। इस कहावत से अवगत होने के बाद भी अधिकतर लोग अपनी आँखों पर ध्यान नहीं देते हैं। जिसके परिणाम स्वरुप उनकी आँखे कई रोगों से ग्रस्त हो जाती हैं जैसे कि आँखों में लालिमा का आना, अंको में सूजन आना, आँखों में दर्द होना, आँखों की रौशनी का कम होना आदि। इसके अलावा कई बार व्यक्ति को आँखों से सम्बंधित गंभीर रोग भी हो जाते हैं जिसकी वजह से आँखों की सम्पूर्ण रौशनी चाली जाती है और सच में ही व्यक्ति की दुनिया वीरान हो जाती है।
यही वजह है की आँखों को स्वस्थ बनाये रखने के लिए प्रतिदिन आँखों की देखभाल करने के साथ ही पौष्टिक भोजन करना भी जरुरी है। बता दें अलसी पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है जो आँखों की अनेक प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में फायदेमंद साबित होती है। यदि आप आँखों को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको अलसी बीजों का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। इसके आलावा आप अलसी का काजल बनाकर भी आँखों से सम्बंधित रोगों से निजात पा सकते हैं।
13. पीलिया रोग में लाभकारी है अलसी का सेवन
यकृत की विकृति से जब रक्त में पित्त की मात्रा बढ़ने लगती है तो पीलिया रोग की उत्पत्ति होती है। शरीर के रक्त में लाल कण तेजी से नष्ट होने लगते हैं एवं इस रोग प्रक्रिया के होने से बिलीरुबिन (Bilirubin) नामक तत्व की अधिकता बढ़ जाती है जिसकी वजह से त्वचा का रंग पीला हो जाता है जिसको हम सब पीलिया के नाम से जानते हैं। बता दें कि पीलिया रोग में त्वचा का रंगत पीला होने के आलावा आँखों और नाखूनों का रंग भी पीला हो जाता है इसके साथ ही कई पीलिया रोगियां को हाथ पैर एवं चेहरे पर सूजन भी आती है।
पीलिया रोग को ठीक करने के लिए कई तरह के घरेलू उपायों की मदद ली जाती है यदि आप भी घरेलु तरीके से पीलिया पर काबू पाना चाहते हैं तो आप अलसी का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए अलसी के बीजों को भून कर महीन चूर्ण बना लें अब इस चूर्ण को आप मूली के पत्तों के रस के साथ अथवा शहद के साथ ले सकते हैं।
14. सर्दी खांसी जैसे रोगों को करती है दूर
सर्दी खांसी सामान्य रोग हैं लेकिन यह रोग अस्थमा, माइग्रेन जैसे रोगियों के आलावा गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं। सर्दी खांसी का प्रभाव आंख, नाक, कान व गले पर भी पड़ता है। यदि आपको कई सप्ताह या फिर कई महीनों तक सर्दी खांसी की समस्या बनी रहती है तो आपको इसका उपचार जल्द से जल्द करवाना चाहिए।
यदि आप सस्ता और घरेलू उपाय की मदद से इस रोग से छुटकारा पाना चाहते हैं तो अलसी का इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें की अलसी में एंटीऑक्सीडेंट, एन्टी बैक्ट्रियल तत्व पाए पाए जाते हैं जो इस परशानी से छुटकारा दिलाने में सहायक होते हैं। अलसी के बीजों का काढ़ा बनाकर आप सर्दी खांसी की समस्या से निजात पा सकते हैं।
15. स्ट्रेच मार्क्स दूर करने में है उपयोगी
मोटापा बढ़ने के साथ ही मांसपेशियों में खिंचाव होता है जिसके कारण महिलाओं एवं पुरुषों की जांघों, कमर, पेट आदि पर लम्बे लम्बे निशान बन जाते हैं है जिसका हम अंग्रेजी में स्ट्रेच मार्क्स के नाम से जानते हैं। इसके आलावा गर्भवस्था के दौरान भी महिलाओं को स्ट्रेच मार्क्स की समस्या से जूझना पड़ता है। यदि आपके शरीर पर भी स्ट्रेच मार्क्स हैं तो अलसी बीज के तेल का इस्तेमाल करके आप अपने शरीर पर मौजूद स्ट्रेच मार्क्स दूर कर सकते हैं।
अलसी के अन्य फायदे | Some Other Benefits of Flax Seeds in Hindi
1. अलसी बीज में एंटीकैंसर गुण पाए जाते हैं जिसकी मदद से आप कैंसर से शरीर का बचाव कर सकते हैं।
2. बालों की रुसी को कम करने में अलसी बेहद फायदेमंद होती है क्योंकि इसमें विटामिन सी पाया जाता है जो रुसी को कम करने में मदद करता है।
3. अलसी में विटामिन डी होता है जो हड्डियों को बलशाली बनाने में फायदेमंद होता है।
4. मुहासों से पीड़ित लोगों के लिए अलसी का उपयोग लाभकारी होता है क्योंकि इसमें मुहासों को कम करने वाले तत्व पाए जाते हैं।
5. इसमें प्रोटीन व ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है जो बालों को लम्बा घना मजबूत बनाने में फायदेमंद होता है।
अलसी का उपयोग | Uses of Flax Seeds in Hindi
अलसी के फायदों को जानने के बाद आप अवश्य ही यह सोच रहे होंगे की अलसी का उपयोग किस प्रकार से कर सकते हैं। तो दोस्तों देर किस बात की चलिए जानते हैं flax seeds का उपयोग किस प्रकार से किया जा सकता है।
1. अलसी बीजों को भून कर इसमें काला नमक मिलाकर आप अलसी का उपयोग कर सकते हैं।
2. अलसी बीजों को भून कर इसका चूर्ण बना लें अब तैयार चूर्ण का इस्तेमाल आप शहद के साथ कर सकते हैं।
3. अलसी बीजों की रोटी बनाकर इसका उपयोग कर सकते हैं।
4. मसाले के रूप में अलसी का उपयोग किया जा सकता है।
5. काढ़ा बनाकर अलसी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
6. अलसी को भिगोकर अलसी का पानी बनाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
7. अलसी का लेप बनाकर अलसी का उपयोग किया जा सकता है।
8. अलसी के लड्डू बनाकर आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
अलसी से होने वाले नुकसान | Side Effects of Flax Seeds in Hindi
दोस्तों आप अलसी का लाभ तभी उठा सकते हैं जब आप अलसी का सेवन सीमित मात्रा में एवं सही तरीके से करें। लेकिन इसका सेवन अगर आप जरुरत से ज्यादा करते हैं तो अलसी आपको अनेक प्रकार के शारीरिक नुकसान पहुंचा सकती है। अलसी से होने वाले कुछ नुकसानों के बारे में नीचे बताया गया है।
1. अलसी का अधिक सेवन करने से आपको पेट से सबंधी शिकायतें हो सकती है।
2. अलसी कब्ज को दूर करने में मदद जरूर करती है लेकिन उचित मात्रा में सेवन करने पर ही यह आपको कब्ज से छुटकारा दिलाती है यदि आप इसका अधिक सेवन करते हैं हैं तो कब्ज की समस्या बढ़ सकती है इसके आलावा पेट में मरोड़ एवं दर्द भी उत्पन्न हो सकता है।
3. मासिक धर्म के समय अलसी का सेवन नुकसानदायक साबित होता है क्यूंकि अलसी खून को पतला करने का कार्य भी करती है।
4. अलसी के कच्चे बीजों का सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक होता है क्यूंकि कच्ची अलसी में जहरीले पदार्थ मौजूद होते हैं।
5. गर्भवती महिलाओं को चिकत्सक का परामर्श लेकर ही अलसी का सेवन करना चाहिए।
6. जिन लोगों का कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम है ऐसे लोगों को अलसी का सेवन नहीं करना चाहिए क्यूंकि अलसी में कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले तत्व पाए जाते हैं।
7. अलसी का अधिक सेवन करने से आँतों को नुकसान पहुंच सकता है।
यह भी पढ़िए: हींग के फायदे और नुकसान
तो दोस्तों ये थी अलसी (flax seeds in hindi) से जुड़ी कुछ जानकारी। हम आशा करते हैं की आप अलसी के समस्त फायदों और नुकसानों से अच्छी तरह परिचित हो गए होंगे। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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