About Mustard Seeds in Hindi: मक्के दी रोटी सरसों दा साग कई लोगों का पसंदीदा भोजन होता है। सिर्फ भारत देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी कई लोग इस भोजन के दीवाने हैं। यही वजह है की सरसों प्राचीन काल से लेकर आज तक अत्यधिक लोकप्रिय बना हुआ है। सरसों के कई रूप होते हैं एवं इसके सभी रूपों का प्रयोग कई तरह से किया जाता है।
सरसों की पत्तियों से लेकर इसके बीजों और बीजों से तैयार किये गए तेल का उपयोग हम सभी अपनी दैनिक जीवन में आवश्यकतानुसार करते आये हैं। लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं कि सरसों (mustard seeds) के बीज स्वस्थ के लिए कितने फायदेमंद हैं। यदि आप सरसों के बीज के फायदों को नहीं जानते हैं तो आज का लेख पढने के बाद आप इनसे भलीभांति परिचित हो जायेंगे।
सरसों बीज क्या होता है | What is Mustard seed in Hindi
सरसों बीज एक प्रकार का मसाला होता है जिसका उपयोग सब्जी का तड़का लगाने के लिए किया जाता है। सरसों बीज आकार में बॉल की तरह गोल होता है। सरसों बीज के ऊपर एक छिलका चढ़ा हुआ होता है जिसका रंग ब्रॉउन और लाल होता है लेकिन अंदर से इसका रंग पीला होता है। बीज को तोड़ने पर यह दो भागों में विभाजित हो जाता है लेकिन टुकड़ों में भी इसका आकर गोल ही रहता है।
सरसों बीज की तासीर :
जिस प्रकार सरसों तेल की तासीर गर्म होती है उसी प्रकार सरसों बीज की तासीर भी गर्म होती है।
सरसों बीज का पौधा कैसा होता है | How did Mustard Seed plant look like
सरसों का पौधा बेहद खूबसूरत होता है। सरसों का पौधा एकवर्षीय शाक जातीय एवं द्विबीजपत्री पौधा है जिसका वानस्पतिक नाम ब्रेसिका कम्प्रेसटिस है। सरसों का पौधा ब्रैसीकेसी कुल से सम्बंधित है अर्थात सरसों का पौधा शलगम, फिलगोभी, मूली आदि से सम्बंधित कुल का पौधा है आपको जानकरी के लिए बता दें कि ब्रैसीकेसी कुल की लगभग 2500 जातियां होती हैं।
सरसों का पौधे की लम्बाई लगभग 1 से 3 सेंटीमीटर तक होती है एवं इसकी टहनियाँ पतली होती हैं व प्रत्येक टहनी में पीले रंग के आकर्षित फूल लगे हुए होते हैं। बता दें की सरसो का उत्पादन सम्पूर्ण भारत में किया जाता है लेकिन इसका सर्वाधिक उत्पादन मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, आसाम, झारखंड़, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब में किया जाता है।
सरसों के प्रकार | Types of Mustard seeds In Hindi
दोस्तों सरसों के कई प्रकार लेकिन मुख्य रूप से सरसों के तीन प्रकार अत्यधिक प्रचलित हैं इसलिए अब हम आपको सरसों के प्रमुख प्रकारों के नाम बताने वाले हैं।
1. पीली सरसों (ब्रसीका हिरता)
2. काली सरसों (ब्रसीला निग्रा)
3. भूरी सरसों (ब्रसीका जूनसिया)
सरसों बीज में पाए जाने वाले पोषक तत्व | Nutrients of Mustard seeds In Hindi
यदि आप सरसों बीज में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को जानना चाहते हैं तो आपको बता दें कि सरसों में आयरन, कार्बोहाईड्रेट, ओमेगा-3 , कैल्शियम , फॉस्फोरस, जिंक, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटाशियम, सोडियम, प्रोटीन, मैंगनीज, कॉपर, सेलेनियम, विटामिन सी, थायमिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी6, विटामिन-ए, विटामिन ई, विटामिन-के के साथ साथ कई तरह के एन्टीऑक्सडेंट तत्व भी पाए जाते हैं।
सरसों बीज के विभिन्न नाम | Different Names of Mustard seeds
दोस्तों सरसों को भारत व विदेश में कई तरह के नामो से जाना जाता है। यदि आप इसे केवल सरसों के नाम से ही जानते हैं तो अब आप इसे कई नामों से जानने लगेंगे क्योंकि अब हम आपको बताने वाले हैं सरसों के विभिन्न नाम कौनसे हैं।
भारत देश में सरसों बीज के विभिन्न नाम
सरसों का हिंदी में नाम – राई
सरोंसो का अंग्रेजी में नाम – मस्टर्ड सीड
सरसों का संस्कृत में नाम – असुरी
सरसों का मलयालम में नाम – कडुकु
सरसों का तेलुगु में नाम – अवालू
सरसों का बंगाली में नाम – मोहोरी
सरसों बीज के विदेशी नाम
सरसों बीज का अरबी नाम – खर्ड़ल डच (Khardal Dutch)
सरसों बीज का स्पेनिश नाम – मस्ताजा फ्रेंच (Mostaza French)
सरसों बीज का इतालवी नाम – सेनपे पोर्तुगी (Senape Portuguese)
सरसों बीज के स्वास्थवर्धक लाभ | Benefits of Mustard seeds in Hindi
सरसों के बीज में औषधीय गुण होते हैं जो सेहत को स्वस्थ बनाने में बेहद लाभकारी होते हैं अतः आप सरसों बीज का इस्तेमाल करके कई रोगों से अपने शरीर का बचाव कर सकते हैं। तो आइए सरसों के बीज के फायदों को विस्तारपूर्वक जानते हैं।
1. गठिया रोग में है फायदेमंद
गठिया जोड़ों से सम्बंधित एक गंभीर रोग है जिसको सन्धिवात, आमवात एवं गाउट के नाम से भी जाना जाता है। बता दें की यह रोग आमतौर पर पैरों से प्रारम्भ होकर शरीर के छोटे बड़े जोड़ों में फ़ैल जाता है। इस रोग से ग्रस्त जोड़ों में असहनीय दर्द होता है। कभी कभी गठिया रोग से प्रभावित शरीर का भाग लाल व गर्म हो जाता है एवं उस भाग को हिलाने में परेशानी होती है।
गठिया रोगी को सर्दी के मौसम में अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि सर्दी के मौसम में मांसपेशियां और नसें सिकुड़ जाती हैं जिसके कारण खून का बहाव बाधित हो जाता है। अतः गठिया से बचाव के लिए आप सरसों बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल सरसों बीज की तासीर गर्म होती है साथ ही इसमें सेलेनियम, मैग्नीशियम एवं एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो गठिया रोग में बेहद गुणकारी साबित होते हैं।
2. आँखों की रोशनी को बढ़ाने में है फायदेमंद
आँखे शरीर का आवश्यक और अति संवेदनशील अंग है क्यूंकि बाहरी जगत से मनुष्य का रिश्ता इन आँखों की वजह से ही होता है। लेकिन वर्तमान समय में अनेक ऐसे लोग हैं जो नजर का चश्मा पहनने को मजबूर हैं। कमजोर नजर से न सिर्फ बढ़ती उम्र के युवा परेशान हैं बल्कि आँखों की नजर कम होने के इतने व्यापक परिणाम हैं कि हर दसवां बच्चा कमजोर नजर से परेशान है।
बता दें कि सरसों बीज में विटामिन ए, विटामिन ई, एन्टीऑक्सडेंट तत्व पाए जाते हैं जो आँखों कि नजर को यानी आँखों की रोशनी को बढ़ाने में मददगार होते हैं।
3. सरसों बीज रुसी को करते हैं कम
बालों में रुसी की समस्या दिन व दिन बढ़ती ही जा रही है। बालों में होने वाली रुसी बालों को तो नुकसान पहुंचाती ही है साथ ही चेहरे की त्वचा को भी प्रभावित करती है। अतः बालों की रुसी के कारण कई लोगों के चेहरे पर कील मुहासें हो जाते हैं। बता दें कि सरसों बीज में एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो रुसी से छुटकारा दिलाते हैं। रुसी को बालों से ख़त्म करने के लिए आप सरसों में दही मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
4. गैस की समस्या का करता है निराकरण
कई लोग भोजन को ठीक तरीके से चबाते नहीं हैं एवं सीधे निगल जाते हैं, खाने के साथ अधिक पानी का सेवन करते हैं, अत्यधिक गरिष्ठ भोजन व अधिक मसालेदार भोजन का सेवन करते हैं जिसके फलस्वरूप अधिकतर लोगों को गैस की समस्या उत्पन्न हो जाती है। गैस की परेशानी से पेट में दर्द, सीने में दर्द, सिरदर्द आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यदि आप गैस की समस्या से जूझ रहें हैं तो आप सरसों बीज के चूर्ण का सेवन सौंफ के साथ कर सकते हैं। दलअसल सरसों बीज में फाइबर पाया जाता है जो गैस की समस्या का निराकरण करने में मददगार होता है।
5. मुहासों का करते हैं अंत
त्वचा को शरीरिक स्वास्थ का दर्पण कहा जाता है। बचपन में सभी की त्वचा कोमल और निरोगी होती है लेकिन उम्र के साथ त्वचा में कई तरह के बदलाव होते हैं इसके आलावा कई प्रकार के शारीरिक बदलाब भी होते हैं जिसके कारण त्वचा पर कई तरह के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। जब त्वचा अस्वस्थ हो जाती है तो परिणाम स्वरुप त्वचा पर फोड़े-फुंसिया, मुंहासे आदि त्वचा सम्बंधित रोग होने लगते हैं।
यदि आप मुहासों अथवा फोड़े फुंसियों की समस्या से परेशान हैं तो आप सरसों बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल सरसों बीज में विटामिन सी, एन्टीबैट्रियल, एन्टीऑक्सडेंट गुण पाए जाते हैं जो मुहासों का अंत करने में कारगार होते हैं। सरसों बीज का पाउडर व लाल चन्दन पाउडर को गुलाबजल में मिलाकर त्वचा पर पेस्ट की भांति लगाने से मुहासों की समस्या से छुटकारा मिलता है।
6. दमा रोग में है लाभकारी औषधि
दमा रोग एक चर्चित रोग है जिसको अस्थमा एवं ऐटॉपिक रोग के नाम से भी जाना जाता है। दमा रोग को गंभीर रोगों की श्रेणी में रखा जाता है। बता दें कि दमा रोग फेफड़ों से सम्बंधित रोग होता है जिसमें प्रभावित व्यक्ति को सांस लेने में कठनाई का अनुभव होता है। इसके आलावा दमा मधुमेह की तरह ही एक ऐसा रोग है जिसको सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। अतः इस रोग का अंत नहीं किया जा सकता।
दमा रोग को नियंत्रित करने में सरसों के बीज लाभकारी होते हैं यदि आप दमा को नियंत्रित करना कहते हैं तो आप सरसों बीज का इस्तेमाल मेथी के बीजों के साथ मिलाकर काढ़े के रूप में कर सकते हैं।
7. सर्दी जुकाम में है असरदार
शीत ऋतू के आगमन के साथ ही श्वसन तंत्र से संबंधित बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सर्दी जुकाम राइनो वाइरस के कारण होता है। आपकी जानकरी के लिए बता दें कि राइनो वाइरस अति सुखम वाइरस होता है जो सीधे नाक पर हमला करता है। जिसके कारण रोगी को छींके आने लगती हैं, नाक से पानी बहने लगता है, गला ख़राब हो जाता है, सर में दर्द होने लगता है, आँखे भारी हो जाती हैं।
शीत ऋतू के आलावा यह वाइरस प्रत्येक मौसम में मनुष्य को अपनी चपेट में ले लेता है। बता दें कि सरसों के बीज में एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टीरियल व एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो सर्दी जुकाम को ठीक करने में सहायता करते हैं। सरसों बीज और पान का काढ़ा बनाकर सेवन करने से सर्दी जुकाम ठीक हो जाता है।
8. झुर्रियों से त्वचा की रक्षा करने में है कारागर
कम उम्र में त्वचा पर झुर्रियों का आना शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी को दर्शाती हैं। बता दें कि जब तक शरीर में पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्वों की आपूर्ति है तब तक त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनी रहती है। हालाँकि त्वचा पर झुर्रियां आने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन प्रमुख्य कारण शरीर में पौष्टिकता की कमी को ही माना जाता है।
सरसों बीज में भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो त्वचा में नमी और चमक बनाये रखते हैं। झुर्रियों से छुटकार पाने के लिए आप शहद, बादाम तेल व सरसों बीज के चूर्ण को मिलाकर त्वचा पर लगा सकते हैं। इसके आलावा आप त्वचा पर सरसों बीज का सेवन करके भी झुर्रियों से अपने शरीर की रक्षा कर सकते हैं।
9. मुँह की दुर्गन्ध को करते हैं ठीक
मुख हमारे शरीर का प्रवेश द्वार होता है जिससे आहार ग्रहण किया जाता है इसलिए मुख का शुद्ध व दुर्गन्ध रहित होना अत्यावश्यक होता है। कई लोगों के मुँह से दुर्गन्ध आती है एवं मुँह से दुगंध आने का कारण मसूड़ों की खराबी, दांतों की ठीक से सफाई न करना, लगातार मुँह का बंद रहना, जीभ पर मेल जमा होना, मसूंड़ो से खनन अथवा मवाद का आना आदि होता है।
यदि आपके मुँह से भी दुर्गन्ध आती है तो आप सरसों बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। सरसों बीज, नींबू के छिकल में नमक मिलाकर महीन चूर्ण तैयार कर लें एवं इस चूर्ण से दिन में तीन बार ऊँगली की सहायता से मंजन करने से मुँह की दुर्गध गयाब हो जाती है साथ ही दांत और मसूड़ें मजबूत बनते हैं।
10. सौंदर्य को रखते हैं बरक़रार
वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति को उसका यौवन और आकर्षण बहुत महत्व रखता है एवं इसे बनाये रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति हर संभव प्रयास करता है। लेकिन प्रदूषण व अन्य कई कारणों की वजह से शरीर पर दाग धब्बे व झाइयां हो जाती हैं जिससे त्वचा की चमक गयाब होने लगती है। इसी वजह से दिन-प्रतिदिन व्यक्ति का सौंदर्य कम होता जाता है।
तो यदि आप अपने सौंदर्य को बरक़रार रखना चाहते हैं तो आप सरसों के बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। सरसों बीज को दरदरा पीसकर दही में मिलाकर स्क्रब करने से सौंदर्य में निखार आता है।
11. बालों को बनाता है काला
बालों को रंग देने वाली कई तरह की कोशिकाएँ होती लेकिन जब बालों की कोशिकाओं को पूर्ण रूप से पोषण नहीं मिलता है तो यह धीरे-धीरे मरने लगती हैं जिसके कारण बाल समय से पहले ही सफ़ेद होने लगते हैं। प्राचीनकाल से ही बालों को काला और घना बनाने के लिए सरसों बीज और सरसों तेल का इस्तेमाल किया जाता रहा है। यदि आप लम्बे समय तक बालों को काला बनाना चाहते हैं तो आप सरसों बीज व सरसों बीज से बने तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
12. इम्यून पावर को बढ़ाने में है लाभकारी
शरीर को सवस्थ बनाने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना बेहद आवश्यक होता है। जिन लोगों का इम्यून पावर कमजोर होता है ऐसे लोग छोटे से छोटे वाइरस के संक्रमण का शिकार आसानी से बन जाते हैं। वहीं दूसरी ओर जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है ऐसे लोग संक्रमण के शिकार आसानी से नहीं बनते हैं व छोटे छोटे रोग स्वतः ही ठीक होने की क्षमता ऐसे लोगों में पाई जाती है।
बता दें कि सरसों के बीज में विटामिन सी, एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टीरियल व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो इम्यून पावर को बढ़ाने में लाभकारी होते हैं।
13. त्वचा का रूखापन दूर करने में है उपयोगी
अधिकतर लोगों के शरीर की त्वचा में रूखापन शीत ऋतू में आता है लेकिन कई ऐसे भी लोग होते हैं जिनकी त्वचा में बारह माह रूखापन बना रहता है। बता दें की शरीर की त्वचा को नमी की बेहद आवश्यकता होती है और यही कारण है कि जब त्वचा को नमी नहीं मिलती है तो परिणाम स्वरुप त्वचा रूखी और बेजान हो जाती है।
यदि आपकी त्वचा रूखी है तो आप सरसों बीज को तरबूज, खीरा, कद्दू, खरबूजा के बीजों का चूर्ण बनाकर कच्चे दूध व मलाई के साथ गाढ़ा पेस्ट बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें कि सरसों बीज से तैयार किए गए इस पेस्ट से त्वचा की 30 मिनिट तक मसाज करना है।
14. दाग धब्बे को करते हैं दूर
दोस्तों वर्तमान समय में चेहरे की त्वचा को दाग धब्बों से बचाना बेहद मुश्किल है। यही कारण है कि दस में से आप आठ लोगों के चेहरे कि त्वचा पर दाग धब्बों को आसानी से देख सकते हैं। हालाकिं त्वचा पर दाग धब्बे होना किसी तरह का रोग नहीं है लेकिन यह चेहरे के सौंदर्य को छीन लेते हैं। इसलिए कील मुहासों अथवा अन्य कारणों से त्वचा पर होने वाले दाग धब्बों से छुटकारा पाने के लिए लोग बाजार में उपलब्ध कई तरह के प्रोडक्ट्स पर सैकड़ों-हजारों रुपए खर्च कर देते हैं लेकिन फिर भी लोगों को इस समस्या से छुटकारा नहीं मिलता है।
बता दें सरसों एक बीज में विटामिन सी एवं एंटीऑक्सीडेंट तत्व के आलावा कई ऐसे तरह के योगिक पाए जाते हैं जो दाग धब्बों से छुटकारा दिलाने में मददगार होते हैं। सरसों बीज में चन्दन पाउडर और दही मिलाकर त्वचा पर लगाने से दाग धब्बों की समस्या से निजात मिलती है।
15. बालों का झड़ना करते हैं बंद
बालों का झड़ना आज के समय की एक आम समस्या बन गया है। जब बालों की जड़ों को सही पोषण प्राप्त नहीं होता है तो बाल झड़ने लगते हैं। बता दें कि बालों को पोषण रक्त नालिकाओं से बहने वाले रक्त और बालों की जड़ों में लगाए जाने वाले तेल आदि से मिलता है।
सरसों के बीज बालों को झड़ने से तो रोकते ही हैं साथ ही बालों को काला भी बनाते हैं। बालों की इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप सरसों का इस्तेमाल एलोवेरा के साथ हेयर पैक के रूप में भी कर सकते हैं। इसके आलावा सरसों के तेल का उपयोग भी आप बालों को मजबूत बनाने के लिए कर सकते हैं।
सरसों बीज के अन्य फायदे | Some Other Benefits of Mustard seeds in Hindi
1. सरसों बीज कोलस्ट्रोल को नियंत्रित करने में फायदेमंद होता है।
2. कब्ज को दूर करने में सरसों बीज लाभकारी होते हैं।
3. मधुमेह को नियंत्रित करने में सरसों बीज फायदेमंद होते हैं।
4. सरसों बीज का इस्तेमाल सोरासिस रोग में फायदेमंद होता है।
5. सरसों बीज में पोटाशियम और फाइबर पाया जाता है जो वजन को कम करने में फायदेमंद होते हैं।
सरसों बीज का उपयोग | Uses of Mustard seeds in Hindi
दोस्तों यदि आपके जहन में यह विचार चल रहा है कि सरसों बीज का उपयोग कैसे किया जाता है तो अब हम आपको यह बताने वाले हैं कि सरसों बीज का उपयोग किस प्रकार से किया जा सकता है।
1. सरसों बीज का इस्तेमाल आप किसी भी सब्जी में कर सकते हैं।
2. सरसों का इस्तेमाल आप पोहा में तड़का लगाकर कर सकते हैं।
3. चटनी में आप सरसों बीज का इस्तेमाल कर सकते है।
4. दही में तड़का लगाकर आप सरसों बीज का उपयोग कर सकते हैं।
5. आचार में आप सरसों बीज का उपयोग कर सकते हैं।
6. दाल, इडली, खमण आदि में तड़का लगाकर आप सरसों का उपयोग कर सकते हैं।
सरसों बीज से होने वाले नुकसान | Side Effects of Mustard seeds in Hindi
सरसों बीज का इस्तेमाल सही अनुपात में नहीं करने से कई प्रकार के शारीरिक नुकसान हो सकते हैं। इसलिए अब हम आपको सरसों बीज से होने वाले नुकसानों से परिचित कराने वाले हैं।
1. सरसों बीज का अधिक सेवन करने से शरीर से रक्त स्त्राव हो सकता है।
2. सरसों बीज का अधिक सेवन पथरी रोगियों के लिए हानिकारक होता है।
3. सरसों बीज की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका गलत तरीके से सेवन करने से पेट में जलन हो सकती है।
4. सरसों बीज का अधिक इस्तेमाल करने से त्वचा पर रेशे अथवा जलन हो सकती है इसलिए सेंसेटिव त्वचा वाले व्यक्तियों के लिए सरसों बीज का इस्तेमाल सावधानी पूर्वक करना चाहिए।
5. गर्म तासीर वाले व्यक्तियों के लिए सरसों बीज का इस्तेमाल असंतुलित मात्रा में करने से शारीरिक नुकसान पहुँच सकता है।
6. गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को चिकत्सक का परमर्श लेकर सरसों बीज का इस्तेमाल करना चाहिए।
तो दोस्तों ये थी सरसों के बीज (Mustard seeds in hindi) से जुड़ी कुछ जानकारी। हम आशा करते हैं की आप सरसों के बीज के समस्त फायदे और नुकसानों से परिचित हो गए होंगे। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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