anxiety meaning in hindi

About Anxiety meaning in hindi: भागदौड़ और तनाव से भरी व्यस्त दिनचर्या व जीवनशैली आज के दौर की विशेषता ही नहीं विवशता भी बन गई है। प्रतिदिन लगभग प्रत्येक व्यक्ति नित नए तनाव, चिंता, बेचैनी आदि का सामना करते हुए दिन व्यतीत करता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति कब एंग्जायटी नामक समस्या का रोगी बन जाता है इसका उसे पता भी नहीं चलता है।

यही कारण है कि इस रोग से ग्रस्त रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। अतः आज अधिकांश लोग किसी न किसी मानसिक रोग से ग्रस्त हैं और इन्हीं रोगों में से एक मानसिकता से जुड़ा हुआ रोग anxiety है। हालाँकि कई लोग एंग्जायटी रोग से परिचित नहीं हैं जिसकी वजह से यह रोग बढ़ता जा रहा है। इसलिए इससे बचाव करने के लिए आज के लेख में हम आपसे anxiety के विषय में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।

 

तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं और देखते हैं एंग्जायटी की विस्तृत जानकारी।

 

क्या होता एंग्जायटी रोग | What is Anxiety Meaning in Hindi

दोस्तों जब चिंता या बेचैनी इंसान के नियंत्रण से बाहर हो जाती है तो इसको anxiety कहा जाता है। अतः एंग्जायटी हमारे मानसिक, शारीरिक, व्यावहारिक तंत्र का मिला जुला परिणाम होती है। किसी भी तरह का तीव्र आघात, दुर्घटना या किसी प्रिय एवं करीबी व्यक्ति की मृत्यु, व्यापार में मिली असफलता आदि कारणों की वजह से एंग्जायटी रोग उत्पन्न हो जाता है।

 

एंग्जायटी के प्रकार | Types of Anxiety Disorder in Hindi

anxiety types in hindi

एंग्जायटी रोग का परिचय (anxiety meaning in hindi) जानने के बाद आइये इसके विभिन्न प्रकारों पर भी थोड़ी चर्चा कर लें क्योंकि एंग्जायटी के प्रकटन की उत्पत्ति और लक्षणों में भिन्नता होती है। आपको बता दें कि anxiety के मुख्य छः प्रकार होते हैं जिनके बारे में हम आपको विस्तार से बताने वाले हैं।

 

1. जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर (Generalized Anxiety Disorder)

जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर रोग किशोरावस्था या युवावस्था से ही शुरू हो जाता है। हालाँकि कई बार इस रोग की शुरुआत अधिक उम्र में भी हो सकती है। जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर से पीड़ित रोगी को अत्यधिक चिंता और बेचैनी से ग्रस्त होने के साथ-साथ डरा सहमा रहता है। ज्यादातर रोगी की चिंता या बेचैनी उसके दैनिक कार्यों और अपने प्रदर्शन से सम्बंधित रहती है। रोगी को हर समय कुछ बुरा होने का भय बना रहता है।

इसके आलावा generalized anxiety disorder रोग से पीड़ित रोगी में कुछ शारीरिक लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं जैसे कि हाथ और पैरों में अधिक पसीना आना, नींद नहीं आना, थकन होना, पेट में गड़बड़ी होना, एकाग्रता की कमी आदि। यदि व्यक्ति में यह लक्षण दिखाई देते हैं तो उसको तुरंत चिकित्सक का परामर्श लेना चाहिए।

 

2. ऑब्सेसिव कम्पलसिव एंग्जायटी डिसऑर्डर (Obsessive Compulsive Anxiety Disorders)

वर्तमान समय में ऑब्सेसिव कम्पलसिव एंग्जायटी डिसऑर्डर की समस्या अधिक हो रही है। आपको बता दें कि obsessive compulsive anxiety disorder का रोगी अजीबो गरीब व्यवहार या क्रियाकलाप करने लगता है। अतः रोगी के मस्तिष्क में निरंतर अनैच्छिक विचारों का आवेगों की उत्पत्ति होती है जिनका अनुशरण करने को रोगी बाध्य रहता है। अतः वह अपने विचारो या क्रियायों को चाहकर भी नियंत्रित नहीं कर पाता है।

ऑब्सेसिव कम्पलसिव एंग्जायटी डिसऑर्डर से ग्रस्त रोग में रोगी कुछ शारीरिक लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं जैसे कि रोगी बार-बार हाथ धोने लगता है या दरवाजा, ताला बंद किया नहीं देखता रहता है। कहने का तात्पर्य यह है कि रोगी के मन में ऐसे विचार और आवेग उसको परेशान करते रहते हैं। बार बार एक कार्य को दोहराने से रोगी अपनी चिंता से थोड़ी देर मुक्त तो होता है परन्तु पुनः वह विचार या आवेग उसे वही कार्य करने को बाध्य करता है। ऐसी क्रियाओं से रोगी का समय तो नष्ट होता है साथ ही उसको दैनिक जीवन भी अस्त व्यस्त हो जाता है।

 

3. पैनिक डिसऑर्डर (Panic Disorder)

पैनिक डिसऑर्डर के रोगी को तीव्र भय के दौरे पड़ते हैं जो सामान्यतः कुछ मिनटों के होते हैं और लगभग दस मिनिट में दौरे की चरम अवस्था आ जाती है। कभी-कभी दौरों की समयावधि कुछ घंटों की भी हो सकती है। आपको बता दें कि panic disorder को किसी अप्रिय घटना के घटित होने से या किसी अप्रिय घटना के बारे में सुनकर दौरा पड़ता है जिसकी वजह से रोगी तीव्र भय से ग्रस्त हो जाता है।

इस प्रकार के रोगी के हाथ पैर कापने लगते हैं, सीने में दर्द होने लगता है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, घबराहट होने लगती है, शरीर से पसीना आने लगता है। यदि किसी व्यक्ति में यह लक्षण दिखाई देते हैं तो उसको तुरंत चिकत्सक का परामर्श लेना चाहिए।

 

4. फोबिया (Phobia)

दोस्तों आपने भी कई बार लोगों के मुँह से फोबिया (Phobia) नामक शब्द सुना होगा। दरअसल फोबिया भी एंग्जायटी रोग का एक प्रकार होता है जिसमें किसी भी चीज या परिस्थिति को लेकर रोगी के मन में भय बैठ जाता है। अतः कई बार रोगी का इलाज करने पर किसी वस्तु या परिस्थिति विशेष के प्रति भय होने का पारिवारिक इतिहास भी मिलता है।

बता दें कि कई मामले ऐसे भी होते हैं जिनमें भय उत्पन्न करने वाले कारणों से बचने की गुंजाइश होती है उनमें चिकित्सा की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती है पर जहाँ वस्तु या परिस्थिति से बचाव संभव नहीं होता है वहां चिकित्सा जरुरी हो जाती है।

 

5. पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Post Traumatic Stress Disorder)

पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के रोगी के भयभीत होने के पीछे पूर्व घटित हुई आघात पहुंचने वाली घटना का सम्बन्ध होता है। पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण सामान्यतः दुःखद घटना घटने के लगभग तीन माह पश्चात् रोगी को प्रभावित करते हैं एवं यह लक्षण लगभग एक माह से अधिक समय तक बने रहते हैं। लेकिन कुछ मामलों में लगभग छः माह में सुधार हो जाता है तो कुछ मामलों में यह रोग जीर्णावस्था में चला जाता है और इसके लक्षण वर्षों तक बने रहते हैं।

पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से पीड़ित रोगी भयग्रस्त तो रहता ही है साथ ही वह अपने आप को असहाय समझता है। पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का रोगी रात में डरकर उठ जाता है, नींद सम्बंधित समस्या उत्पन्न हो जाती हैं एवं अवसाद से ग्रस्त रहता है। पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक ऐसा रोग होता है जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है।

 

6. सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (Social Anxiety Disorders)

सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर का रोगी हीनभावना से ग्रस्त होता है। अतः सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर का रोगी अपने आपको सामाजिक परिवेश में उठने बैठने या कुछ करने योग्य नहीं समझता है। दरअसल कुछ अत्यधिक मामलों में सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर के रोगी में आत्मविश्वास की कमी देखने को मिलती है साथ ही उसके मन में लोगों द्वारा अपमानित होने अथवा त्रुटियां निकाले जाने का भय बना रहता है।

इसके अतरिक्त इस समस्या से ग्रस्त रोगी में लोगों के बीच बोलने, खाने-पीने या अपने वरिष्ठ अधिकारीयों से चर्चा करने जैसी परिस्थितियों में सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर के लक्षण तीव्र हो जाते हैं।

 

एंग्जायटी के सामान्य लक्षण | Symptoms of Anxiety in Hindi

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एंग्जायटी रोग में मनोवैज्ञानिक लक्षणों के साथ-साथ शारीरिक लक्षण भी होते हैं। अतः अलग-अलग प्रकार के एंग्जायटी रोग में अलग-अलग लक्षण सामने आते हैं। इसके आलावा एंग्जायटी रोग की स्थिति और गंभीरता पर भी लक्षणों की तीव्रता निर्भर करती है। हालाँकि अधिकतर मामलों में कुछ सामान्य लक्षण ही देखने को मिलते हैं। इसलिए अब हम आपको एंग्जायटी के कुछ सामान्य लक्षणों से अवगत कराने वाले हैं।

 

(A) एंग्जायटी के मनोवैज्ञानिक लक्षण | Psychological symptoms of Anxiety in Hindi

एंग्जायटी के मनोवैज्ञानिक लक्षणों के अंतर्गत एंग्जायटी के विभिन्न लक्षण देखने को मिलते हैं जिसकी चर्चा हम विस्तार से करने वाले हैं।

 

1. चिंता व तनावग्रस्त

कई लोग बेहद छोटी-छोटी बातों को लेकर चिंतित या तनावग्रस्त हो जाते हैं। जिसकी वजह से वह अपने कई कार्यों को सम्पन्न नहीं कर पाते हैं। दरअसल रोगी छोटी-छोटी बातों को लेकर बेचैन हो जाता है एवं उसके मन में अनजाने कई तरह के भय उत्पन्न हो जाते हैं जिसकी वजह से वह डरपोक प्रवृति का नजर आने लगता है। अतः बार-बार छोटी-छोटी बातों को लेकर चिंतित होना या तनाव ग्रस्त होना एंग्जायटी का एक मनोवैज्ञानिक लक्षण होता है।

 

2. मानसिक अवस्था में बदलाव होना

एंग्जायटी से पीड़ित रोगी की मानसिक अवस्थ बदलती रहती है। बता दें कि कई बार तो एंग्जायटी से ग्रस्त रोगी अधिक आशावादी दिखाई देता है तो इसके विपरीत कभी अवसाद (Depression) से पीड़ित नजर आता है। दरअसल इस रोग में रोगी स्वयं को लाचार और असहाय मान लेता है जिसकी वजह से किसी नए व्यक्ति की बीमारी की बात सुनकर अपने आप को भी बीमार महसूस करने लगता है।

 

3. चिड़चिड़ापन व शरीर का सुस्त रहना

एंग्जायटी के रोगी को हमेशा यह बात सताती है कि उसके साथ कुछ बुरा होने वाला है जिसकी वजह से रोगी चिड़चिड़ा, सुस्त व आलसी हो जाता है। इस कारणवश रोगी का मन किसी भी कार्य में नहीं लगता है।

 

4. अनिद्रा

एंग्जायटी से ग्रस्त रोगी चारों ओर विचारों से घिरा रहता है। इस वजह से उसको रातभर नींद नहीं आती है और वह अनिद्रा रोग से ग्रस्त हो जाता है। अतः रोगी अपने आप को थका हुआ, अवसाद ग्रस्त और दुखी महसूस करता है जिसकी वजह से वह अकेला रहना पसंद करता है। अतः रोगी हिस्ट्रीरिया के स्वाभाव वाला होता है एवं मानसिक आघात के कारण वह अनिद्रा रोग से ग्रस्त हो जाता है। साथ ही रोगी के मानसिक लक्षण लगातार बदलते रहते हैं।

 

(B) शारीरिक लक्षण | Physical symptoms of Anxiety in Hindi

एंग्जायटी रोग में कई प्रकार के शारीरिक लक्षण भी दिखाई देता हैं। इसलिए मनोवैज्ञानिक लक्षणों को जानने के बाद आइये एक नजर एंग्जायटी रोग के शारीरिक लक्षणों पर भी डालते हैं।

 

1. पसीना आना

एंग्जायटी से ग्रस्त रोगी जब किसी भी वस्तु या परिस्थिति का सामना करने से भयभीत होता है तो उसकी हथेलियों और पैरों के तलवों में अत्यधिक पसीना आने लगता है। इसके आलावा कई रोगियों में हाथ पैर कापने के लक्षण भी देखने को मिलते हैं।

 

2. घबराहट होना

इसके रोगी को किसी भी कार्य को करने से पहले तीव्र घबराहट व बेचैनी होने लगती है। उदाहरण के लिए यदि रोगी को इंटरव्यू देने जाना हो या कहीं कोई भाषण देना हो अथवा किसी महत्पूर्ण व्यक्ति से मुलाकात करनी हो तो रोगी का घबराहट से बुरा हाल हो जाता है एवं कई बार घबराहट इतनी बढ़ जाती है कि वह पसीना-पसीना हो जाता है।

 

3. सीने में दर्द होना

अचानक ही किसी घटना का तीव्रता के साथ घटित होने पर रोगी के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। जिकसी वजह से कई बार उसके सीने में दर्द होने लगता है। इसके आलावा रोगी का चेहरा लाल हो जाता है एवं रोगी बेहोश भी हो जाता है।

 

4. सिरदर्द

इस रोग में सिरदर्द ऐसा होता है जैसे सर में कीलें चुभ रही हों। अतः एंग्जायटी के रोगी में सिरदर्द या तेज सिरदर्द से सम्बंधित लक्षण भी दिखाई देते हैं।

 

5. बार-बार एक ही क्रिया को दोहराना

एंग्जायटी का रोगी एक क्रिया को बार-बार दोहराता है। जैसे कि कई बार हाथ धोता है या फिर किसी भय की वजह से बार-बार दरबाजे की कुंदी को देखता है। इसके अतरिक्त रोगी को किसी भी वस्तु का अव्यवस्थित ढंग से रखा होना पसन्द नहीं होता है।

 

6. स्थान परिवर्तित करते रहना

इस रोग में रोगी एक स्थान पर नहीं रह पाता है। वह कभी एक जगह तो कभी दूसरी जगह बैठा रहता है पर एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं बैठता है। इसके साथ ही वह अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहता है क्योंकि वह अपने आप को अत्यधिक कमजोर समझता है एवं उसको मृत्यु का भय सताता रहता है।

 

7. अत्यधिक मात्रा में नशीले पदार्थों का सेवन या रोग से पीड़ित होना

लम्बे समय तक नशीले पदार्थों जैसे कि लम्बे समय तक अधिक मात्रा में शराब या ड्रग्स या किसी औषधि के सेवन करने से शारीरिक दुष्यप्रभाव के होने से व्यक्ति अत्यधिक बेचैन, चिंता या तनावग्रस्त हो जाता है। इसके आलावा रक्त में शुगर का स्तर बार-बार कम होना या थॉयराइड हार्मोन्स के स्तर की अधिकता या कमी एंग्जायटी लक्षणों को दर्शाती है।

 

(C) एंग्जायटी के अन्य शारीरिक लक्षण | Some other Symptoms of Anxiety in Hindi

एंग्जायटी एक ऐसा रोग होता है जिसके एक नहीं बल्कि कई शारीरिक लक्षण होते हैं। जैसे कि श्वाश लेने में परेशानी होना, मुँह सूखना, गले में जकड़न महसूस होना, गले में दर्द होना, भूख नहीं लगना, रक्तचाप का बढ़ना, बार बार पेशाब लगने का अनुभव करना, ह्रदय गति और स्वसंस गति का बढ़ना शारीरिक दर्द व तनाव बने रहना, नपुंसकता आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

 

सामान्य चिंता और एंग्जायटी डिसऑर्डर में अंतर | Difference between Tension and Anxiety disorder

दोस्तों यदि आप एंग्जायटी के प्रकारों और लक्षणों को जानने के पश्चात यह सोच रहे हैं कि सामान्य चिंता ही एंग्जायटी रोग है तो आपको बता दें कि सामान्य चिंता और एंग्जायटी डिसऑर्डर दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं। लेकिन दोनों में कई तरह के अंतर पाए जाते हैं। इसलिए अब हम आपको सामान्य चिंता और एंग्जायटी डिसऑर्डर में अंतर बताने वाले हैं।

 

1. सामान्य चिंता में व्यक्ति को किसी भी वस्तु या परिस्थिति को लेकर कुछ समय के लिए ही चिंता रहती है लेकिन एंग्जायटी रोग में चिंता बिना किसी वस्तु या परिस्थिति को लेकर होती है।

2. सामान्य चिंता में व्यक्ति को किसी विशेष चीज से डर लगता है जैसे कि शेर, सांप आदि परन्तु एंग्जायटी रोग में व्यक्ति को हर चीज से डर लगने के अतिरिक्त लोगों के सामने जाने व बात करने से भी डर लगता है।

3. सामान्य चिंता में व्यक्ति एक या दो बार ही सफाई करता है लेकिन एंग्जायटी रोग में व्यक्ति एक ही चीज, वस्तु या घर के किसी चीज की बार बार सफाई करता है।

4. सामान्य चिंता में व्यक्ति अपने किसी करीब के निधन पर कुछ समय के लिए चिंतित होता है परन्तु एंग्जायटी रोग में व्यक्ति को स्वयं के मरने का भय उत्पन्न हो जाता है इसलिए वह एक स्थान से दूसरा स्थान परिवर्तित करता रहता है।

5. समान्य चिंता में व्यक्ति को किसी महत्वपूर्ण कार्य को लेकर कभी-कभी पसीना आ जाता है लेकिन एंग्जायटी रोगी को किसी भी परिस्थिति का सामना करने पर पसीना आ जाता है।

6. सामान्य चिंता में व्यक्ति किसी गंभीर बात को कुछ समय के लिए याद रखता है परन्तु एंग्जायटी रोग में व्यक्ति पुरानी बातों को अधिक याद रखता है।

7. सामान्य चिंता में व्यक्ति केवल कुछ उसके चुनिंदा लोगों से ही सामाजिक दूरी बनाकर रखता है लेकिन एंग्जायटी रोग में व्यक्ति प्रत्येक व्यक्ति से सामाजिक दूरी बनाकर रखता है एवं यदि रोगी व्यक्ति के साथ कोई सामान्य व्यक्ति बात भी करता है तो एंग्जायटी रोगी उसकी बात को नहीं सुनता है।

 

एंग्जायटी रोग के दुष्प्रभाव | Side Effects of Anxiety in Hindi

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आज कल की व्यस्त दिनचर्या की वजह से लोग अपने ऊपर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं एवं अनेक प्रकार के कार्यों और योजनाओं को सम्पन्न करने के लिए दिनरात महेनत करते हैं। इस वजह से कई बार लोगों में एंग्जायटी के लक्षण दिखने लगते हैं लेकिन यदि एंग्जायटी रोग के लक्षणों को अनदेखा किया जाता है तो व्यक्ति को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार हैं –

 

1. एंग्जायटी अटैक

एंग्जायटी अटैक आज के समय में एक गंभीर बीमारी बन गई है। अतः यदि इस बीमारी का सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो व्यक्ति को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इस समस्या में व्यक्ति को हर समय चिंता बनी रहती है, दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिसकी वजह से श्वांस की गति तेज हो जाती है एवं कई बार रोगी की मौत भी हो जाती है।

 

2. स्मरण-शक्ति का कमजोर होना

एंग्जायटी रोग में रोगी बेवजह चिंतित और तनावग्रस्त रहता है जिसकी वजह से कई बार रोगी की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है।

 

3. शारीरिक दुर्बलता

एंग्जायटी रोग में व्यक्ति को भूख कम लगती है एवं वह प्रत्येक परिस्थिति का सामना ठीक प्रकार से नहीं कर पाता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति के शरीर में शारीरिक दुर्बलता आ जाती है।

 

4. एकाग्रता में कमी आना

एंग्जायटी रोग में व्यक्ति के मन में कई प्रकार के बेवजह के विचार उत्पन्न होते रहते हैं जिसकी वजह से रोगी एक किसी बिंदु पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है। अतः एंग्जायटी रोग की वजह से व्यक्ति की एकाग्रता में कमी आ जाती है।

 

एंग्जायटी रोग को कैसे करें नियंत्रित | How to control Anxiety in Hindi

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स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था चिंता और चिता में सिर्फ एक बिंदु का फर्क होता है अन्यथा दोनों ही समान हैं। हालाँकि आधुनिक दौर की एक व्यावहारिक हकीकत है कि हम अपने जीवन को पूरी तरह चिंता मुक्त नहीं कर सकते हैं। लेकिन इस चिंता को नियंत्रित जरूर कर सकते हैं क्योंकि चिंता को नियंत्रित करने से ही एंग्जायटी रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए अब हम आपको एंग्जायटी को कण्ट्रोल करने के उपाय बताने वाले हैं।

 

1. व्यायम व योग के द्वारा

मानसिक तनाव व चिंता को नियंत्रित करने का सबसे बेहतरीन उपाय है व्यायम और योग। दरअसल व्यायम और रोग से शारीरिक और मानसिक तनाव दूर होता है एवं यह मांसपेशियों को क्रियाशील बनाता है जो एंग्जायटी रोग को नियंत्रित करने में मददगार साबित होता है।

 

2. ध्यान लगाने से नियंत्रित होता है एंग्जायटी रोग

दोस्तों कई लोग ऐसे होते हैं जो व्यायम नहीं कर पाते हैं। अतः ऐसे लोग ध्यान लगाकर एंग्जायटी रोग को नियंत्रित कर सकते हैं। बता दें कि ध्यान स्मरण-शक्ति और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है जिसकी वजह से व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति पर असर नहीं पड़ता है।

 

3. पर्याप्त मात्रा में नींद लेकर

कई लोग अनियमित समय में पर सोते है जिसकी वजह से उनको नींद नहीं आती है। जब नींद नहीं आती है तो व्यक्ति के मन में तमाम तरह के विचार उत्पन्न होते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति एंग्जायटी रोग का शिकार हो जाता है। अतः यदि आप एंग्जायटी रोग को नियंत्रित करना चाहते हैं तो आपको पर्याप्त मात्रा यानी सात से आठ घंटे की नींद लेना जरुरी है।

 

4. सामाजिक बने

दोस्तों कई लोह एकांत में रहना पसंद करते हैं जिसकी वजह से एंग्जायटी रोग का शिकार बन जाते हैं। अतः सामजिक बनने से कई प्रकार के विचारों का अदन प्रदान होता है सात ही लोगों से बातचीत करने की झिझक मिटती है साथ ही लोगों से अपनी बात कहने का भय मिटता है।

 

5. म्यूजिक के माध्यम से एंग्जायटी रोग को करे नियंत्रित

म्यूजिक को तनाव और चिंता को कण्ट्रोल करने वाली दवाई कहा जा सकता है। दरअसल म्यूजिक सुनने से या तबला, हारमोनियम, गिटार आदि बजाने से मन में चल रहे विचार नियंत्रित होते हैं जिसकी वजह से चिंता, तनाव, बेचैनी नियंत्रित होती है। अतः म्यूजिक के माध्यम से भी एंग्जायटी रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

 

तो दोस्तों ये थी एंग्जायटी से जुड़ी कुछ जानकारी। अब आप शायद anxiety meaning in hindi से परिचित हो गए होंगे। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।

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