Psyllium husk in hindi

About Psyllium Husk in Hindi: स्वास्थ्य से जुड़ी हुई अनेक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं एवं इन बढ़ती समास्यों की मुख्य वजह है परंपरागत जीवनशैली के विपरीत नयी जीवनशैली। नयी जीवनशैली से तात्पर्य है गलत जीवनशैली जो बच्चों से लेकर बड़ों तक की सेहत को प्रभावित कर रही है। दरअसल हम सभी पूरी तरह से एलोपैथिक दवाओं पर निर्भर हो गए हैं व अपनी परम्परागत जड़ी बूटियों को भूलते जा रहे हैं। ये जड़ी बूटियां ना सिर्फ हमें कई रोगों से बचा सकती हैं बल्कि सेहत को भी कई फायदे प्रदान करती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही गुणकारी औषधि की जानकारी प्रदान करने वाले हैं।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं ईसबगोल (Psyllium Husk) की जिसका उपयोग कई प्रकार की दवाइयों में भी किया जाता है। यदि आप अपने शरीर को स्वस्थ व निरोगी बनाना चाहते हैं तो आज का लेख आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। दरअसल आज हम आपको ईसबगोल के फायदे और इससे जुड़ी अन्य समस्त जानकारी बताने वाले हैं जो आपके लिए उपयोगी साबित होगी। तो चलिए शुरू करते हैं।

 

क्या होती है ईसबगोल | What is Psyllium Husk in Hindi

ईसबगोल मुख्य रूप से एशिया, भूमध्यसागरीय क्षेत्रों व उत्तरी अफ्रीका में पाई जाने वाली चमत्कारी जड़ी बूटी है। बता दें कि ईसबगोल का वैज्ञानिक नाम प्लान्टेगो ओवेटा (Plantago ovata) है। ईसबगोल के बारे में अधिक बात करें तो यह एक पौधा होता है जिसके ऊपर लगने वाले भूसी को Isabgol के नाम से जाना जाता है। खास बात यह कि ईसबगोल जड़ी बूटी की कोई गंध व स्वाद नहीं होता है लेकिन इसके सफ़ेद रंग व भूसी से ईसबगोल को आसानी से पहचाना जा सकता है।

ईसबगोल की तासीर :

कई लोगों के लिए ईसबगोल एक नई जड़ी-बूटी है इसलिए आम तौर पर लोगों को इसकी तासीर के विषय में जानकारी नहीं होती है। तो आपको बता दें कि ईसबगोल की तासीर ठंडी होती है।

 

कैसा होता है ईसबगोल का पौधा | How Isabgol plant looks like

Psyllium husk plant in hindi

कई लोगों ने शायद आज ईसबगोल का नाम पहली बार सुना होगा इसलिए कई लोगों के मन में ईसबगोल के पौधे के विषय में जानने की जिज्ञासा होगी। इसलिए आपकी जिज्ञासा का समाधान करते हुए आपको बात दें कि ईसबगोल का पौधा प्लान्टेजिनसी कुल से संबधित होता है जिसकी लम्बाई लगभग एक मीटर से लेकर तीन मीटर तक होती है। ईसबगोल का पौधा देखने में हूबहू गेंहू के पौधे की तरह लगता है जिसमें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले सफ़ेद रंग के चार भागों में विभाजित फूल लगते हैं।

ईसबगोल की पुष्पकर्णिका में बेहद छोटे बीज लगे होते हैं। ईसबगोल की डालियाँ पतली होती हैं एवं इन्हीं डालियों के सिरों पर गेहूँ के समान बालियाँ लगती हैं व बालियों पर श्वेत रंग की झिल्ली चढ़ी हुई होती है जिसको हम ईसबगोल के नाम से जानते हैं। भारत में ईसबगोल की खेती मुख्य रूप से गुजरात, पंजाब, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि क्षेत्रों में की जाती है।

 

ईसबगोल में मौजूद पौष्टिक तत्व | Nutrients of Psyllium Husk in Hindi

यदि आप ईसबगोल का इस्तेमाल यह सोच कर नहीं करते हैं कि यह एक भूसी है जिसमें पौष्टिक तत्व नहीं हो सकते। तो आपको बता दें कि इस खास जड़ी बूटी में उच्च मात्रा में फाइबर तो पाया ही जाता है साथ ही इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, फैटी एसिड व एंटीऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

 

ईसबगोल के विभिन्न नाम | Some Other Names of Isabgol

दोस्तों आपको बता दें कि ईसबगोल को कई प्रकार के नामों से जाना जाता है इसलिए इसबगोल के फायदों को जानने से पहले आइए एक नजर ईसबगोल के विभिन्न नामों पर भी डालते हैं।

ईसबगोल का हिंदी में नाम – इश्बगु

ईसबगोल का अंग्रेजी में नाम – साइलियम हस्क

ईसबगोल का संस्कृत में नाम – स्निग्धजीरकम्

इसबगोल का तमिल में नाम – इशकोल विटाइ

ईसबगोल का तेलगु में नाम – इसपगोल विट्टुलु

ईसबगोल का गुजराती में नाम – उर्थामुजीरम्

ईसबगोल का मलयालम में नाम – इस्फघल

ईसबगोल का कन्नड़ में नाम – इसबगोलु

 

ईसबगोल के स्वास्थ्यवर्धक फायदे | Benefits of Psyllium Husk in Hindi

Psyllium husk benefits in hindi

ईसबगोल शरीर को स्वस्थ रखने में किसी वरदान से कम नहीं है इसलिए प्राचीन काल से ही ईसबगोल का इस्तेमाल एक दवाई के रूप में किया जाता रहा है।
आपको यह भी बता दें कि ईसबगोल के एक नहीं बल्कि कई लाभ हैं। तो यदि आप शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो इसके फायदों को जानना आपके लिए आवश्यक है। तो चलिए बिना देर किए इसके फायदों से आपको रूबरू करवाते हैं।

 

1. एसिडिटी से राहत दिलाने में है मददगार

एसिडिटी एक ऐसा रोग है जिसका सही समय पर उपचार नहीं करने पर यह अल्सर का रूप धारण कर लेता है जो शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। हालाँकि कभी-कभी होने वाली एसिडिटी यानी पेट या सीने में होने वाली जलन एक सामान्य समस्या है जिसका इलाज आप घरेलु औषधियों के माध्यम से कर सकते हैं।

इसलिए आपको बता दें कि यदि आप एसिडिटी की समस्या से परेशान हैं एवं घरलू तरीके से इसका उपचार करना चाहते हैं तो ईसबगोल आपके लिए बेहतरीन जड़ी-बूटी है। दलअसल ईसबगोल में अनेक प्रकार के विटामिन्स व मिनरल्स पाए जाते हैं जो एसिडिटी से राहत दिलाने में मददगार होते हैं। एसिडिटी को शांत करने के लिए आप मुन्नका, सौंफ व मिश्री के साथ ईसबगोल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

2. सर्दी-खांसी को ठीक करने में है प्रभावी

सर्दी खांसी मुख्य रूप से बैक्ट्रियल, वायरल व एलर्जी के कारणों से होती है। इसके आलावा ऋतू परिवर्तन होने की वजह से भी सर्दी खांसी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। हालाँकि एक सामान्य व्यक्ति के लिए सर्दी खांसी अधिक पीड़ादायक नहीं होती है। लेकिन बच्चों व बुजुर्गों के लिए सर्दी खांसी बेहद नुकसानदायक साबित हो सकती है।

इसलिए आपको बात दें कि सर्दी खांसी जैसे रोगों से निजात पाने के लिए आपको किसी चिकत्सक के पास जाने की आवश्यकता नहीं इसका इलाज आप स्वयं भी कर सकते हैं। जी हाँ दोस्तों ईसबगोल में एंटीऑक्सीडेंट व एंटीबैक्ट्रियल गुण पाए जाते हैं जो सर्दी खांसी से निजात दिलाने में मददगार साबित होते हैं। सौंठ, पान, तुलसी व ईसबगोल का काढ़ा बनाकर सेवन करने से सर्दी खांसी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

 

3. ईसबगोल है मोटापा कम करने में सहायक

वर्तमान समय में मोटापा एक ज्वलंत व तीव्र समस्या बन चुका है जिससे विश्व का हर तीसरा व्यक्ति पीड़ित है। हालाँकि मोटापा कोई रोग नहीं है लेकिन मोटापा
स्वस्थ शरीर के लिए इसलिए समस्या माना जाता है क्योंकि मोटापा की वजह से एक स्वस्थ व्यक्ति अपने कार्यों को सहजता से सपन्न नहीं कर पाता है इसके आलावा मोटापा अनेक प्रकार के गंभीर रोगों का जन्मदाता भी होता है।

आपको बता दें कि यदि आप मोटापा की समस्या से परेशान हैं तो आप ईसबगोल का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल ईसबगोल में फाइबर पाया जाता है जो मोटापा को कम करने में फायदेमंद होता है। प्रतिदिन सुबह खाली पेट ईसबगोल का सेवन गर्म पानी व दूध के साथ करने से मोटापा कम होता है।

 

4. ईसबगोल से करें कब्ज को खत्म

कब्ज एक ऐसा रोग है जिसका नाम गंभीर रोगों की श्रेणी में रखा गया है। दरअसल यदि कब्ज का सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो यह कई प्रकार के गंभीर रोगों को उत्पन्न कर देता है। इसलिए कब्ज का शीघ्र ही उपचार करना चाहिए। बता दें कि गलत जीवनशैली की वजह से जब जठराग्नि मन्द हो जाती है व आहार सही प्रकार से नहीं पचता है तो मल सूखा एवं कठोर हो जाता है जिसको हम सभी कब्ज के नाम से जानते हैं।

यदि आप इस समस्या से ग्रस्त हैं तो आपके लिए ईसबगोल का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल ईसबगोल में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कब्ज से छुटकारा दिलाने में लाभकारी होता है।

 

5. मूत्र विकारों को ठीक करने में है सक्षम

मूत्र सबंधी विकारों का शिकार पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक होती हैं। चूँकि मूत्र सम्बंधित विकार एक नहीं बल्कि कई होते हैं एवं मूत्र सम्बंधित विकारों के कारण भी कई होते हैं। इसलिए चिकत्सक का परमर्श लेकर ही मूत्र विकारों का उपचार करना लाभकारी होता है। दरअसल मूत्र संक्रमण बैक्ट्रियाजनित संक्रमण होता है जिसकी वजह से रोगी के मूत्र मार्ग में जलन होने लगती है, मूत्र में दुर्गन्ध आने लगती है, मूत्र अधिक आने लगता है या फिर मूत्र रुक-रुक कर आता है।

यदि आप इस परेशानी से जूझ रहे हैं तो ईसबगोल का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि ईसबगोल में मूत्र विकारों को ठीक करने वाले गुणकारी तत्व पाए जाते हैं। ईसबगोल का उपयोग मिश्री के साथ करने से मूत्र विकारों को नियंत्रित किया जा सकता है।

 

6. दन्त रोगों में होती है लाभकारी

दन्त रोग किसी भी समय किसी भी व्यक्ति को हो सकते हैं। हालाँकि दन्त रोग अचानक से नहीं पनपते हैं बल्कि दांतों की ठीक प्रकार से देखभाल नहीं करने पर उत्पन्न होते हैं। इसके आलावा शरीर में कैल्शियम व विटामिन सी की कमी से भी दांतों में दर्द होने लगता है, दांत की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं जिसकी वजह से दांत टूटने लगते हैं। चूँकि दांत प्रत्येक व्यक्ति के लिए जरुरी होते हैं इसलिए दांतों को स्वस्थ रखना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक होता है।

यदि आप दांतों से सबंधित परेशानियों का सामना कर रह हैं व दांतों को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपके लिए ईसबगोल लाभकारी साबित हो सकती है। ईसबगोल में कैल्शियम, एंटीऑक्सीडेंट व कई प्रकार के गुणकारी तत्व पाए जाते हैं जो दन्त रोगों को ठीक करने में प्रभावी होते हैं।

 

7. बवासीर रोग में ईसबगोल होता है फायदेमंद

दोस्तों आयुर्वेद में बवासीर रोग को गंभीर रोग बताया है जिसमें पीड़ित रोगी को बेहद तकलीफ होती है। आपको बता दें की बवासीर रोग मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। एक बादी यानी सूखी बवासीर और दूसरी खूनी बावासीर। आपको बता दें की खूनी बवासीर में मस्सों से रक्त निकलता है जबकि बादी बवासीर में मस्सों से रक्त नहीं निकलता है। लेकिन दोनों ही प्रकार की बवासीर रोगी के लिए बेहद पीड़ादायक होती हैं।

तो यदि आप बवासीर रोग से शरीर का बचाव करना चाहते हैं या फिर बवासीर रोग से ग्रस्त हैं तो आप ईसबगोल का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल ईसबगोल में फाइबर पाया जाता है जो बवासीर रोग में फायदेमंद होता है।

 

ईसबगोल के अन्य फायदे | Isabgol Ke Fayde

Isabgol ke fayde

1. ईसबगोल में फाइबर, मैग्नीशियम, पोटाशियम पाया जाता है जो ह्रदय रोगों को नियंत्रित करने में फायदेमंद होता है।

2. कोलस्ट्रोल को नियत्रित करने में ईसबगोल का इस्तेमाल लाभकारी होता है।

3. ईसबगोल में विटामिन सी व फाइबर पाया जाता है जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में प्रभावी है।

4. ईसबगोल में जिलेटिन पाया जाता है जो मधुमेह को कंट्रोल करने में सक्षम होता है।

5. अल्सर रोगियों के लिए ईसबगोल फायदेमंद जड़ी बूटी है।

 

ईसबगोल का उपयोग | Uses of Psyllium Husk in Hindi

Isabgol uses in hindi

आप के दिमाग में आ रहा होगा कि ईसबगोल तो भूसी होती है तो फिर इसका उपयोग किस प्रकार से किया जा सकता है। तो दोस्तों आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अब हम आपको बताने वाले हैं की आप इस गुणकारी जड़ीबूट का इस्तेमाल किन-किन तरीकों से कर सकते हैं।

1. ईसबगोल का उपयोग कुकीज या बिस्किट के रूप में कर सकते हैं।

2. काढ़े के रूप में ईसबगोल का उपयोग कर सकते हैं।

3. गर्म दूध के साथ ईसबगोल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

4. मीठे दही के साथ ईसबगोल का उपयोग किया जाता है।

5. त्रिफला के साथ ईसबगोल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

ईसबगोल से होने वाले शारीरिक नुकसान | Side Effects of Psyllium Husk in Hindi

दोस्तों दवाई हो या फिर जड़ी बूटी यदि आप उसका इस्तेमाल गलत तरीके से करते हैं तो उसका विपरीत ही परिणाम देखने को मिलता है। इसलिए जो लोग किसी रोग से पीड़ित हैं या ईसबगोल का गलत तरीके से उपयोग करते हैं तो ईसबगोल आपके शरीर को नुकसान पंहुचा सकती है। इसलिए अब हम आपसे ईसबगोल से होने वाले नुकसान साझा करने वाले हैं।

1. ईसबगोल का गलत तरीके से प्रयोग करने पर त्वचा सबंधी विकार उत्पन्न हो सकते हैं।

2. ईसबगोल का अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त की शिकायत हो सकती है।

3. ईसबगोल का अधिक सेवन करने से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।

4. गर्भवती महिलाओं व तीन साल के बच्चों के लिए ईसबगोल नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं और बच्चों को चिकत्सक का परमर्श लेने के पश्चात ही ईसबगोल का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

 

तो दोस्तों ये थी ईसबगोल (psyllium husk in hindi) से जुड़ी कुछ जानकारी। हम आशा करते हैं की आप ईसबगोल के फायदे और नुकसानों से परिचित हो गए होंगे। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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