About Elephant Foot Yam in Hindi: वर्तमान समय में स्वास्थ से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। जिसका प्रमुख्य कारण है जीवनशैली में बदलाव और गलत खान पान। जंक फूड के कारण भोजन में पौष्टिकता की कमी को देखा जा सकता है। बात दें कि यदि हमारा आहार पौष्टिक, सुपाच्य और प्रोटीन युक्त है तो हमारा शरीर पुष्ट और निरोगी रहता है। इसलिए आज हम आपको एक ऐसे पौष्टिक खाद्य पदार्थ के बारे में बताएँगे जिसको आप अपने आहार में शामिल करके निरोगी बन सकते हैं। जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे हैं जिमीकंद की जिसको Suran के नाम से भी जाना जाता है।
यदि आप जिमीकंद का नाम पहली बार सुन रहे हैं व इसके बारे में आपको जानकारी नहीं है तो चिंतित होने की आवश्यकता नहीं क्योंकि हम आपको बताने वाले हैं Jimikand क्या होता है, जिमीकंद का उपयोग कैसे किया जाता है व जिमीकंद के क्या-क्या फायदे हैं। तो देर किए बिना चलिए विस्तार से जानते हैं जिमीकंद की सम्पूर्ण जानकारी।
क्या होता है जिमीकंद | What is Elephant Foot Yam in Hindi
हमारे भारत देश में किसानो द्वारा कई प्रकार की सब्जियां उगाई जाती हैं जिसमें से जिमीकंद भी एक सब्जी है। जिमीकंद सब्जी का पौधा एरेसी कुल से सम्बंधित पौधा होता है एवं भारत व इसके प्रांतों में इसे बालुकन्द, अरसधाना, कंद, ओल, घनकन्द आदि नामों से जाना जाता है। बता दें कि आयुर्वेद में jimikand को अर्शोघ्न कहा गया है एवं आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है, इसलिए जिमीकंद को जड़ी बूटी भी कहा जाता है।
जिमीकंद देखने में हाथी पांव की तरह लगता है इसलिए जिमीकंद को अंग्रेजी में Elephant Foot Yam कहते हैं जबकि इसका वैज्ञानिक नाम Amorphophallus Paeoniifolius है। जमीकंद एक भूमिगत सब्जी है जिसका रंग भी भूमि की तरह होता है एवं इसका स्वाद कैसेला होता है।
जिमीकंद की प्रजातियां | Species of Suran in Hindi
जिमीकंद की मुख्य रूप से सफेद और लाल दो प्रजातियां पाई जाती हैं। बता दें कि जिमीकंद की सफेद प्रजाति का अधिक उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है जबकि इसकी लाल प्रजाति का उपयोग आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता है।
जिमीकंद में मौजूद पौष्टिक तत्व | Nutrients of Elephant Foot Yam in Hindi
फल या सब्जियों की पौष्टिकता का प्रमाण उनमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों से प्राप्त किया जाता है। इसलिए आपको बता दें कि औषधिये गुणों से युक्त जिमीकंद में प्रोटीन, पोटैशियम, फाइबर, मैग्नीशियम, फैट, कैलोरी, कार्ब्स, सोडियम, फास्फोरस, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन बी6, विटामिन बी1, राइबोफ्लेविन, फॉलिक एसिड, नियासीन, बीटा-कैरोटीन, विटामिन के, कार्बोहाइड्रेट जैसे तत्वों के साथ एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टिरीयल गुण पाए जाते हैं।
जमीकंद के विभिन्न नाम | Some Other Names of Jimikand (Suran)
दोस्तों ऊपर के लेख में हमने आपको जिमीकंद के कई नामों से परिचित करा चुके हैं लेकिन ऊपर बताये गए नामों के आलावा और भी इसके नाम हैं एवं अमूनन लोग जिमीकंद के नामों से परिचित नहीं है। इसलिए अब हम आपको जिमीकंद के समस्त भाषायी नामों से अवगत कराने वाले हैं।
संस्कृत में जिमीकंद का नाम – कण्डनायक, सूरण, शूख
हिंदी में जिमीकंद का नाम – जमीकंद, सूरन
अंग्रेजी में जिमीकंद का नाम – एलीफैंट फुट यैम
तमिल में जिमीकंद का नाम – करनई, किलंगु
तेलगु में जिमीकंद का नाम – कन्द
मलयालम में जिमीकंद का नाम – चेना
कन्नड़ में जिमीकंद का नाम – सुवर्ण गड्डे
जिमीकंद के फायदे | Benefits of Elephant Foot Yam in Hindi
जिमीकंद उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगने वाली एक ऐसी सब्जी है जिसका उपयोग करके मानवीय शरीर कई प्रकार के रोगों से छुटकारा पा सकता है। इस सब्जी में अनेक प्रकार के यौगिक, मिनरल्स, विटामिन्स व स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं जो अन्य सब्जियों से इसको अलग व लाभकारी बनाते हैं। इसलिए अब हम आपको बताने वाले हैं कि जिमीकंद सेहत को किस प्रकार से सेहतमंद बनाने में सहायक होता है।
1. जिमीकंद बवासीर रोग में होता है फायदेमंद
बवासीर रोग को आयुर्वेद में अर्श एवं एलोपैथी में पाईल्स के नाम से जाना जाता है। इस रोग में मलाशय के निचले सिरे व गुदाद्वार पर रक्तवाहिनियों के गुच्छे युक्त मस्से उत्पन्न हो जाते हैं जो बवासीर रोग की मुख्य पहचान होते हैं। दोस्तों बवासीर रोग को दो भागों में विभक्त किया गया है – बादी बवासीर और खूनी बवासीर।
बता दें कि बादी बवासीर में मल के साथ रक्त का प्रवाह नहीं होता है जबकि खूनी बवासीर में रक्त का प्रवाह होता है। यदि आप इस गंभीर रोग से पीड़ित हैं तो आप जिमीकंद का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि जिमीकंद का उपयोग बवासीर में फायदेमंद होता है। बवासीर रोग से निजात पाने के लिए आप जिमीकंद का इतेमाल इस प्रकार से कर सकते हैं।
- बादी बवासीर में जिमीकंद का उपयोग इस प्रकार से करें –
जिमीकंद और कुटज की छाल समान मात्रा में लेकर चूर्ण तैयार करें। अब तैयार चूर्ण की 5 से 6 ग्राम मात्रा लेकर दही या छांछ के साथ प्रतिदिन सुबह शाम इसका सेवन करें।
- खुनी बवासीर रोग में जिमीकंद का इस्तेमाल इस प्रकार से करें –
खूनी बवासीर में दो ग्राम जिमीकंद, दो ग्राम नागकेसर, दो ग्राम आंवला, दो ग्राम देशी शक़्कर को मिलाकर मक्खन के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर रोग में लाभ मिलता है।
2. पेट के कीड़ों का करता है नाश
गलत खान पान के कारण पेट में कीड़े हो जाते हैं जो शारीरिक व मानसिक विकास में बाधा बनता है। आपको बता दें कि पेट में होने वाले कीड़े लगभग 20 प्रकार के होते हैं जिनमें से कुछ कीड़े पेट में घाव तक बना देते हैं। पेट में कीड़े होने के कारण जीभ सफ़ेद व मोटी हो जाती है, पेट में दर्द होता है जिसके कारण रोगी को कष्ट महसूस होता है। जिमीकंद में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टिरीयल तत्व पाए जाते हैं जो पेट के कीड़ों को ख़त्म करने में मदद करते हैं। जिमीकंद चूर्ण अजवाइन को समान मात्रा में काळा नमक के साथ सेवन करने से पेट के कीड़ों को कम किया जा सकता है।
3. जिमीकंद गठिया दर्द को करता है कम
गठिया एक सामान्य रोग है जो कई रूप में आपके सामने आ सकता है। बता दें कि गठिया रोग की परेशानी आपके सामने जोड़ों के दर्द के रूप में आ सकती है इसलिए जोड़ों में होने वाले दर्द को कभी भी अनदेखा नहीं करना चाहिए। गठिया रोग होने के कारण शरीर के जोड़ों में जकड़न होने लगती है, जोड़ों में दर्द होने लगता है, जोड़ों में सूजन आने लगती है।
यदि गठिया रोग का सही समय पर इलाज नहीं किया जाता तो रोगी को कई तरह के शारीरिक घातक परिणामों का सामना करना पड़ता है। दोस्तों जिमीकंद में कैल्शियम और कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो गठिया के दर्द को कम करने में फायदेमंद होते हैं। लहसुन के साथ जिमीकंद का सेवन करना गठिया रोग में फायदेमंद माना जाता है।
4. जिमीकंद है आँखों के लिए लाभकारी
आंखो को स्वस्थ बनाने के लिए विटामिन ए बेहद आवश्यक होता है। आपको बता दें कि विटामिन ए शरीर के विकास प्रतिरक्षा क्षमता, आँखों की रोशनी तथा कोशिकाओं के कार्यों को सामान्य बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। विटामिन ए की कमी के कारण आँखों के बाहरी हिस्से में सफ़ेद चकत्ता को जाते हैं जो रतौंधी रोग का लक्षण होता है जिसके कारण अँधा होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। दोस्तों जिमीकंद में विटामिन ए अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इसलिए यदि आप आँखों को स्वस्थ व निरोगी बनाना चाहते हैं तो आप जिमीकंद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
5. अस्थमा रोगियों के लिए जिमीकंद है फायदेमंद
अस्थमा रोग को दमा या श्वास रोग भी कहा जाता है। अस्थमा रोग श्वसन संस्थान से जुड़ा हुआ एक व्यापक रोग है। बता दें कि अस्थमा रोग में वायुमार्ग सूज कर संकीर्ण हो जाते हैं जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, सीने में जकड़न या दर्द होने लगता है, सांस फूलने लगती है। इसलिए अस्थमा रोगी को बेहद सावधानी रखने की आवश्यकता होती है। जिमीकंद अस्थमा रोगियों के लिए एक बेहतरीन जड़ी बूटी है क्योंकि जिमीकंद में मैग्नीशियम, पोटैशियम, विटामिन ए, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी तव पाए जाते हैं जो अस्थमा रोगी के लिए लाभकारी होते हैं।
6. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में है असरकारक
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बिमारियों से लड़ने वाली शक्ति कहा जाता है क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली मानव-शरीर को बीमारियों, संक्रमण, वायरस इत्यादि से लड़ने में सहायक होती है। बात दें कि जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है उसके ऊपर बिमनारियों का खतरा बेहद कम होता है अर्थात उसका स्वास्थ अच्छा रहता है।
इसके विपरीत ही जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है ऐसे व्यक्ति छोटे से छोटे रोगों का शिकार आसानी से बन जाते हैं। यदि आपकी भी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है और आप उसको बढ़ाना चाहते हैं तो आप जिमीकंद का उपयोग कर सकते हैं। दरअसल जिमीकंद में कई प्रकार के एंटी-बैक्टीरियल तत्वों के साथ फाइबर पाया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में फायदेमंद होता है।
7. वजन को जिमीकंद करता है नियंत्रित
वर्तमान समय में अधिकतर युवा अपनी सेहत को लेकर जागरूक हैं इसलिए सबसे पहले वह अपने वजन को नियंत्रित करना चाहते हैं क्योंकि बड़ा हुआ वजन अनेक प्रकार के रोगों का जन्मदाता होता है। लेकिन यह भी सच है कि वजन जितनी जल्दी से बढ़ता है कम करने में उतना ही अधिक समय लगता है। वजन कम करने के लिए योग, व्यायाम के साथ साथ मोटापा कम करने वाले भोज्य पदार्थों का सेवन करना भी जरुरी होता है।
इसलिए आपको बता दें कि यदि आप आसानी से वजन को कम करना चाहते हैं तो जिमीकंद एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो बड़े हुए वजन को कम करने में आपकी मदद करेगा। जिमीकंद में फाइबर पाया जाता है जो मेटाबोलिज्म को बढ़ाने में सहायक होता है जिसके कारण वजन को नियंत्रित किया जा सकता है।
8. रक्त साफ करके शरीर को कई रोगों से है बचाता
दोस्तों शरीर के संचालन में रक्त यानि खून की की महत्पूर्ण भूमिका होती है। बता दें कि लिवर खून को साफ़ करने का कार्य करता है लेकिन गलत खान पान के कारण कई बार शरीर के खून में टॉक्सिन्स जमा हो जाते हैं जिसके कारण खून दूषित हो जाता है। साफ खून व्यक्ति को सेहतमंद बनता है जबकि दूषित खून व्यक्ति को अनेक बिमारियों से जकड़ लेता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति का खून साफ रहना जरुरी होता है।
यदि आप अपने शरीर के रक्त को शुद्ध बनाना चाहते हैं तो आप जिमीकंद का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिमीकंद में कैल्शियम, मैंगनीज, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फॉस्फोरस, एंटी-बैक्टिरीयल और एन्टीऑक्सडेंट तत्व पाए जाते हैं जो रक्त से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मददगार होते हैं जिसके कारण रक्त शुद्ध हो जाता है।
जिमीकंद (सूरन) के अन्य फायदे | Jimikand Ke Fayde
1. जिमीकंद में कॉपर पाया जाता है जो रक्त संचार को बढ़ाने में फायदेमंद होता है।
2. जिमीकंद आमवात रोगों में लाभदायक होता है।
3. जिमीकंद में फाइबर पाया जाता है जो मस्तिष्क को शांत रखने में फायदेमंद होता है।
4. जिमीकंद में पोटैशियम, मैग्नीशियम और फाइबर पाया जाता है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में असरकारक है।
5. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है।
6. जिमीकंद में बीटा कैरोटीन और एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर पैदा करने वाले फ्री रैडिकल्स से शरीर का बचाव करने में मदद करते हैं।
जिमीकंद का उपयोग | Uses of Elephant Foot Yam in Hindi
दोस्तों आज का लेख पड़ने के बाद में आप में से कई पाठक ऐसे भी होंगे जिन्होंने जिमीकंद का नाम पहली बार सुना होगा। इसलिए आपके मन यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर जिमीकंद का उपयोग किस प्रकार से किया जाता है। तो दोस्तों आपकी इस समस्या का समाधान करने के लिए अब हम आपको बताने वाले हैं कि आप जिमीकंद का इस्तेमाल किस प्रकार से कर सकते हैं।
1. बाजार में उपलब्ध अन्य सब्जियों की तरह आप जिमीकंद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
2. चिप्स बनाकर आप जिमीकंद का इस्तेमाल कर सकते हैं।
3. हलवा बनाकर जिमीकंद का उपयोग किया जा सकता है।
4. अचार के रूप में आप जिमीकंद का उपयोग कर सकते हैं।
5. पराठे अथवा पकौड़े के रूप में जिमीकंद का इस्तेमाल किया जा सकता है।
6. सूप के रूप में जिमीकंद का उपयोग कर सकते हैं।
जिमीकंद से होने वाले नुकसान | Side Effects of Elephant Foot Yam in Hindi
दोस्तों किसी भी नए खाद्य पदार्थ का सेवन करने से पहले उसके लाभ व हानि वाले गुणधर्मों की जानकारी अवश्य होना चाहिए। क्योंकि यदि आपको किसी भी खाद्य पदार्थ के फायदों की जानकारी है लेकिन उस से होने वाले नुकसानों की नहीं, तो वह खाद्य पदार्थ आपके शरीर को नुकसान पंहुचा सकता है। इसलिए अब हम आपको बताने वाले हैं जिमीकंद से होने वाले नुकसान कौन कौनसे हैं या फिर जिमीकंद का सेवन किस प्रकार के व्यक्तियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
1. जिमीकंद का सेवन रक्तस्राव वाले रोगियों एवं कुष्ठ रोगियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
2. जिमीकंद का गलत तरीके से उपयोग करने पर शरीर में खुजली व गले में जलन हो सकती है।
3. गर्भवती महिलाओं को जिमीकंद का सेवन चिकत्सक का परामर्श लेकर ही करना चाहिए।
4. जिमीकंद की तासीर को देखते हुए स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को इसके सेवन से परहेज करना चाहिए।
5. जिमीकंद का अधिक सेवन करने से एलर्जी की समस्या हो सकती है।
तो दोस्तों ये थी जिमीकंद (Elephant foot yam in hindi) से जुड़ी कुछ जानकारी। हम आशा करते हैं की आप जिमीकंद के फायदे और नुकसानों से परिचित हो गए होंगे। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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