About Asparagus in Hindi: हजारों वर्षों पहले सभी बिमारियों का ईलाज आयुर्वेदिक पद्धति के द्वारा किया जाता था। इस पद्धति में बिमारियों का ईलाज करने के लिए जड़ी बूटियों का इस्तेमाल होता था। इस बात का उल्लेख हमारे धार्मिक ग्रंथो में भी किया गया है। हमारे देश में अभी भी ऐसी अनेक जड़ी बूटियां हैं जो बड़े से बड़े रोगों को ठीक करने में सक्षम हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक जड़ी बूटी के बारे में बताने वाले हैं। जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे हैं शतावरी की जिसको अंग्रेजी में एस्परैगस (Asparagus) के नाम से जाना जाता है।
भारत के हिमायल क्षेत्र में पाई जाने वाली शतावरी सबसे पुरानी जड़ी बूटियों में से एक है इसलिए शतावरी यानी कि asparagus का उल्लेख कई भारतीय ग्रंथो में किया गया है। वैज्ञानिको के मतानुसार शतावरी शरीर को पुष्ट करने वाली, वीर्य को बढ़ाने वाली, ह्रदय को बल देने वाली औषधि है। शतावरी बहुत ही फायदेमंद औषधि है जिसका उपयोग अक्सर आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक (Homeopathic) दवाइयों में किया जाता है। यदि आप शतावरी के फायदों और इसके सन्दर्भ में अधिक जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़िए इसमें हम आपको शतावरी से जुड़ी विस्तृत जानकारी देने वाले हैं।
शतावरी क्या है | What is Asparagus in Hindi
शतावरी एक दिव्य औषधि है जो वात रोग एवं रक्त विकार को नष्ट करती है। शतावरी का उपयोग स्त्री और पुरुषों से सम्बंधित कई रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह लिलिएसी (Liliaceae) परिवार की एक जड़ी बूटी है जिसको सतावर, शतावर, सतमूल, सतावरी तथा सतमूली के नामों से भी जाना जाता है। शतावरी ने आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक प्रमुख स्थान पाया है। शतावरी को जीवन शक्ति में सुधार करने के लिए एक चमत्कारी स्वास्थ्य टॉनिक माना जाता है।
शतावरी का पौधा कैसा दिखता है | What does Asparagus plant look like
शतावरी का पौधा झाड़ीनुमा कांटेदार होता है जो लगभग एक मीटर से दो मीटर तक लम्बा होता है। शतावरी पौधे के फूल सफेद रंग के होते है जो देखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं। शतावरी की बेल के नीचे गुच्छों के रूप में सौ या सौ से अधिक जड़ें लगी हुई होती हैं इसलिए इसकी जड़ों को शतावरी कहा जाता है। शतावरी की जड़ें लगभग एक से दो मीटर लम्बी और मोटी होती हैं। शतावरी की जड़ों का ऊपर का छिलका सफेद होता है व जड़ों के आगे का हिस्सा नुकीला और चिकना होता है। शतावरी की जड़ो में स्टेराइडल सैपोनिन, फिलियास्पैरोसाइड सी, शैटेवैरोसाइड A और डायोसजेनिन नामक कई महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं।
शतावरी के प्रकार | Types of Asparagus in Hindi
दोस्तों शतावरी के पौधे विरलकन्द और कुन्तपत्रा दो प्रकार के होते हैं लेकिन शतावरी पौधे के बाहरी रूप को देखा जाये तो ये तीन प्रकार के होते हैं जैसे सफेद शतावरी, बैंगनी शतावरी और हरी शतावरी। बता दें की सफेद शतावरी और हरी शतावरी दोनों एक ही होती हैं लेकिन इनमें एक खास अंतर यह है कि सफेद शतावरी को मिट्टी के नीचे धूप से बचाकर छाया में उगाया जाता है जबकि हरी शतावरी को धूप में उगाया जाता है। एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) गुणों से भरपूर बैंगनी शतावरी का उपयोग अक्सर सब्जी के रूप में किया जाता है।
शतावरी के कई नाम | Some other names of Asparagus
आयुर्वेद की रानी शतवारी को एक नहीं बल्कि कई नामों से जाना जाता है। तो आइये जानते हैं कि शतावरी को भारत के अन्य क्षेत्रों में किस नाम से जाना जाता हैं।
शतावरी का वानस्पतिक नाम – ऐस्पेरेगस रेसीमोसस (Asparagus racemosus)
शतावरी का हिंदी नाम – शतावरी, सरनोई, सतावर, सतवारी, सरनोई, सतमूली
शतावरी का संस्कृत नाम – सूक्ष्मपत्रिका, शतावरी, शतपदी
शतवारी का उर्दू नाम – सतावरा
शतावरी का पंजाबी नाम – सतावर
शतावरी का अंग्रेजी नाम – बटरमिल्क रुट (Buttermilk root), वाइल्ड ऐस्पैरागस
शतवारी का मराठी नाम – शतावर
शतावरी का गुजराती नाम – एकलकान्ता, सेमुखा
शतावरी का बंगाली नाम – डोगरी, सतमूली
शतावरी का तमिल नाम – पाणियीनाक्कु
शतावरी का उरिया नाम – वरि, पाली
शतवारी का मलयालम नाम – शतावलि
शतावरी में पाए जाने वाले पोषक तत्व | Nutrients of Asparagus in Hindi
शतवारी एक अचूक रामबाण औषधि है जिसमें कई तरह के खनिज, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं तो आइये शतवारी में पाए जाने वाले पौष्टिक गुणों के बारे में जानते हैं।
शतवारी लो कैलोरी वाला आहार है जिसमें फैट या कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता है। शतावरी में विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के, पोटेशियम, आयरन, ऊर्जा, जिंक, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, फाइबर, प्रोटीन, थाइमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन बी 6, विटामिन बी 12, फास्फोरस, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल, फोलेट, फॉलिक एसिड, ओमेगा 3 जैसे कई प्रमुख तत्वों की प्रधानता शतावरी में पाई जाती है।
शतवारी के फायदे | Benefits of Asparagus in Hindi
आयुर्वेद की सबसे प्रमुख और खास औषधि शतावारी है जिसकी लोग अमृत से तुलना करते हैं। शतावरी की अमृत से तुलना करने का अर्थ है कि इस औषधि के अनेक फायदे हैं। इसलिए अब हम आप से asparagus से होने वाले फायदों को साझा करने जा रहे हैं।
1. शतावरी पित्ताशय के दर्द में है बेहद कारगर | Effective in gall bladder pain
पित्ताशय हमारे शरीर का एक छोटा सा अंग होता है जो कि लीवर के पीछे होता है। पित्ताशय (Gall bladder) में पथरी होने की वजह से असहनीय दर्द होता है। इसके आलावा पित्ताशय में सूजन और मोटापे की वजह से भी दर्द होने लगता है। पित्ताशय के दर्द को कम करने के लिए शतावरी बेहद फायदेमंद औषधि है। यदि आपको पित्ताशय में दर्द है तो आपके लिए शतावरी का उपयोग लाभकारी सिद्ध होगा।
प्रयोग विधि –
शतावरी की ताज़ी जड़ो को लेकर जूस बना लें। तैयार जूस में एक चम्मच शहद मिलाकर नित्य सुबह खाली पेट सेवन करें। लगातार तीन से चार माह तक सेवन करने से पित्ताशय का दर्द जड़ से खत्म हो जाता है।
2. गर्भवती महिलाओं के लिए है टॉनिक | Beneficial for pregnant women
शतावरी में आयरन, प्रोटीन, फोलेट, विटामिन्स और कई तरह के खनिज पाए जाते हैं जो गर्भावस्था के दौरान प्रत्येक गर्भवती स्त्री और उनके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए अवश्यक होते हैं। गर्भवती महिलाओं के द्वारा शतावरी का सेवन करने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास अच्छा होता है और समय से पहले प्रसव हो जाने का खतरा कम रहता है। कई बार देखा जाता है कि गर्भवती महिलाओं को रक्त स्त्राव होने लगता है जिसकी वजह से शिशु के विकास को काफी खतरा रहता है लेकिन यदि शतावरी का सेवन प्रसव होने के पहले से ही किया जाये तो महिलाओं को ऐसी कोई भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। अतः कह सकते हैं कि गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी एक फायदेमंद टॉनिक है।
प्रयोग विधि –
तीन से चार ग्राम शतावरी के चूर्ण को प्रतिदिन सुबह या शाम को दूध के साथ लेने से गर्भवती महिला वा बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं।
3. वीर्य शुक्राणुओं को बढ़ाए शतावरी | Asparagus increases semen sperm
एक शोध के मुताबिक ज्ञात हुआ हैं कि शुक्राणुओं की कमी की वजह से हर तीन में से एक वैवाहिक जोड़ा माँ-पिता बनने से वंचित रह जाता है। शुक्राणु कम होने का कारण मोटापा, उच्च रक्तचाप, शरीर में अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) का होना आदि है। शतावरी के सेवन से आप इस समस्या का हल पा सकते हैं।
प्रयोग विधि –
100 ग्राम शतावरी, 100 ग्राम अश्वगंधा, 100 ग्राम सफ़ेद मूसली, 100 ग्राम आंवला को मिलाकर महीन पीसकर कांच के डिब्बे में भरकर रख लें। तैयार चूर्ण को 4 ग्राम की मात्रा में लेकर सुबह और शाम को पानी के साथ सेवन करें। चूर्ण का सेवन करने के एक घंटे बाद गर्म दूध का सेवन करें। इस उपाय को प्रतिदिन करने से समस्या का निदान जल्द हो जाता है।
4. शतावरी से एसिडिटी को दूर करें | Get relief in acidity with Asparagus in Hindi
अधिक मसालेदार वाली चीजों, गर्म तासीर वाली चीजों या खटाई खाने से पेट में पित्त बनने लगता है जिसकी वजह से गले में जलन होना, खट्टी डकारे आना, सांसों में बदबू, सूखी खांसी, पेट फूलना, आदि समस्या acidity के कारण होने लगती हैं। शतावरी में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई तत्व मुख्य रूप से पाए जाते हैं जो एसिडिटी को खत्म करते हैं। यदि आप भी एसिडिटी की परेशानी से जूझ रहे हैं तो आपके लिए शतावरी का सेवन लाभकारी रहेगा।
प्रयोग विधि –
एक छोटी चम्मच शतावरी चूर्ण का सेवन दूध के साथ करने से एसिडिटी की समस्या का अंत हो जाता है। यदि आपको दूध का सेवन करना पसंद नहीं है तो आप शतावरी चूर्ण का इस्तेमाल चूने के पानी के साथ भी कर सकते हैं।
5. श्वेत प्रदर में करें शतावरी का उपयोग | Use asparagus in leucorrhoea
श्वेत प्रदर महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है जिसको इंग्लिश में ल्यूकोरिया (Leucorrhea) कहा जाता है। इस समस्या को सफेद पानी की समस्या भी कहा जाता है। महिलाओं के योनि मार्ग से सफेद चिपचिपा गाढ़ा स्राव को श्वेत प्रदर कहा जाता है। इस बीमारी का सामना लगभग कई महिलायें करती हैं लेकिन महिलायें इस बीमारी को अनदेखा कर देती हैं जो बाद में जाकर कई अन्य गंभीर बिमारियों का कारण बन सकती है। यदि किसी महिला को श्वेत प्रदर की परेशानी है तो उनको शतावरी का सेवन करना काफी लाभप्रद हो सकता है।
प्रयोग विधि –
एक छोटी चम्मच शतावरी चूर्ण का सेवन शहद के साथ करने से श्वेत प्रदर में राहत मिलती है। इसके अतरिक्त रात को शतावरी चूर्ण को पानी में भिगोकर रखे और प्रतिदिन सुबह शाम इस चूर्ण का सेवन करने से सभी प्रकार के प्रदर रोग नष्ट हो जाते हैं।
6. शतावरी है मधुमेह का इलाज | Shatavari is a effective in diabetes
खून में रक्त की शर्करा बढ़ने की वजह से मधुमेह रोग हो जाता है। मधुमेह रोग एक जटिल रोग है इसलिए समय पर इसकी रोकथाम करना आवश्यक है। शतावरी में एंटी हाइपर ग्लाइसेमिक (antihyperglycemic) पाया जाता है जो मधुमेह पर नियंत्रण बनाये रखता है। यदि आपको या आपके किसी परिचित को मधुमेह रोग है तो शतावरी के सेवन से मधुमेह के रोग में आपको आराम मिलेगा।
प्रयोग विधि –
एक छोटी चम्मच शतावरी चूर्ण को प्रतिदिन दूध के साथ लेने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।
नोट – दूध में शक्कर का उपयोग नहीं करना है।
7. स्तनों में दूध को बढ़ाये शतावरी | Asparagus increase milk in breasts
शतावरी महिलाओं के लिए एक ऐसी जड़ी बूटी है जो उनसे सबंधित एक नहीं बल्कि कई बीमरियों का इलाज करती है अर्थात asparagus महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी औषधि है। बता दें कि प्रसव के उपरांत कई महिलाओं के स्तनों से दूध नहीं निकलता है। शतावरी के सेवन से महिलाओं के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
प्रयोग विधि –
प्रतिदिन 20 ग्राम शतावरी चूर्ण का सेवन गाय या बकरी के दूध के साथ करने से महिलाओं के दूध में वृद्धि होती है।
8. मूत्र विकार को दूर करे शतावरी | Shatavari helps overcome urinary disorders
मूत्र विकार की समस्या होने पर मूत्राशय में जलन, पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का बार-बार आना, पेशाब में खुजली होना आदि विकार उत्पन हो जाते हैं। पुरुषों की अपेक्षा मूत्राशय की परेशानी महिलाओं में अधिक देखी जाती है। इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए आप शतावरी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रयोग विधि –
शतावरी के काढ़े में शहद और शक्कर मिलाकर खाने से मूत्राशय के कई विकारों को ठीक किया जा सकता है।
9. बवासीर में फायदेमंद है शतावरी | Get relief in piles with Asparagus in Hindi
बवासीर काफी तकलीफदायक रोग है। इस रोग को piles एवं अर्श रोग भी कहा जाता है। बवासीर होने पर anus के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से गुदा के अंदरूनी या बाहरी भाग पर मस्से बन जाते हैं मस्से होने से कई बार खून भी निकलता है इसलिए बवासीर को खूनी बवासीर भी कहा जाता है। बवासीर होने के कई कारण होते हैं जैसे कब्ज का होना, रक्तवाहिकाओं पर दबाव पड़ना, गर्भावस्था और प्रसव के समय होने वाली लापरवाही, अधिक समय तक खड़े रहना, मोटापा आदि कारणों से बवासीर रोग हो जाता है। बवासीर से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए शतावरी का सेवन फायदेमंद होता है।
प्रयोग विधि –
शतावरी चूर्ण की तीन से चार ग्राम की मात्रा लेकर दूध के साथ सेवन करने से बावासीर रोग में आराम मिलता है।
नोट – यह प्रयोग उस समय करना है जब बावासीर के मस्से अंदरूनी भाग में हों।
10. अल्सर में है लाभकारी | Shatavari is beneficial in ulcer
अल्सर एक प्रकार की बीमारी है जिसकी वजह से शरीर के अंदर छोटी आंत के शुरूआती स्थान पर म्यूकल झिल्ली पर होने वाले घावों को ulcer घाव कहा जाता है। अल्सर कई तरह का होता है जिसको अलग-अलग नामों से जाना जाता है। अल्सर बेहद घातक रोग है यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता तो इसकी वजह से कैंसर रोग भी हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति को अल्सर की बीमारी है तो वह asparagus का सेवन कर सकते हैं। आपको बता दें कि इस समस्या का समाधान शावतारी हो सकता है लेकिन आप डॉक्टर को दिखाकर उनकी सलाह जरूर लें।
प्रयोग विधि –
शतावरी चूर्ण का सेवन पत्तागोभी के रस के साथ करने से अल्सर घाव धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं।
11. त्वचा को निखारे शतावरी | Shatavari helps you in skin whitening
शतावरी में पोषक तत्वों की अत्यधिक प्रधानता पाई जाती है जो त्वचा को स्वस्थ बनाते हैं। शतावरी में पाए जाने वाले मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन ई और विटामिन सी त्वचा को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (Ultraviolet) किरणों से बचाते हैं। प्रोटीन और ऊर्जा त्वचा में नमी एवं पोषण प्रदान करके त्वचा में निखार लाते हैं।
प्रयोग विधि –
नित्य सुबह ताजी शतावरी को पीसकर गाढ़ा पेस्ट तैयार कर लें। अब इस पेस्ट में चार से पांच बूंदे नीबू और गुलाब जल की मिलाकर चेहरे पर लगभग बीस मिनट तक लगाकर रखें। बीस मिनिट पश्चात साफ पानी से चेहरे को धो लें। इस उपाय को करने से चेहरे की त्वचा से सम्बंधित सभी तरह की समस्याओं से निजात मिल जाती है।
12. खांसी और बुखार में इस्तेमाल करें | Use asparagus in cough and fever
सर्दी, खांसी और बुखार एक आम रोग है जो किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो जाता है लेकिन कुछ व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिसकी वजह से वह हमेशा ही सर्दी खाँसीं और बुखार से पीड़ित रहते हैं। ऐसे लोगों को शतावरी का सेवन करने से सर्दी खांसी और बुखार से छुटकारा मिल जाता है। बता दें कि शतावरी में विटामिन सी, मैग्नीशियम, पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो इस समस्या से छूटकारा दिलाने में मदद करते हैं।
प्रयोग विधि –
दस ग्राम शतावरी का रस, दस ग्राम ग्लोय का रस, एक छोटी चम्मच काली मिर्च पाउडर लेकर तीनों सामग्री को ठीक तरह से मिला लें। प्रतिदिन इस रस का सेवन करने से सर्दी, खांसी, बुखार की समस्या से जल्द आराम मिलता है।
13. कैंसर होने से बचाए शतावरी | It protects you from cancer
शतावरी में एंटीऑक्सीडेंट, सल्फोराफेन, ग्लूटाथिओन, इन्फ्लमाटरीज, हिस्टोन नामक प्रोटीन पाया जाता है। शतावरी में पाए जाने वाले यह घटक लोगों को कई तरह के होने वाले कैंसर से बचाते हैं एवं जिन लोगों को कैंसर है उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि शतावरी में पाया जाने वाला सल्फोराफेन कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। शतावरी के प्रयोग से हड्डियों के कैंसर, लंग्स कैंसर, स्तन कैंसर से बचा जा सकता है। बता दें कि शतावरी कैंसर का पूर्ण इलाज नहीं है लेकिन शतावरी का उपयोग करने से कैंसर को होने से रोका जा सकता है।
प्रयोग विधि –
रोज सुबह एक चम्मच शतावरी की जड़ों का पाउडर या चूर्ण को गुनगुने पानी या गाय के दूध के साथ सेवन करने से होने वाले कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है।
14. शतावरी करे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित | Control blood pressure with Asparagus in Hindi
ब्लड प्रेशर की समस्या आमतौर पर बढ़ती ही जा रही है। प्रत्येक घर में एक या दो व्यक्तियों को ब्लड प्रेशर की बीमारी पाई जाती है। ब्लड प्रेशर बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि अनियमित जीवनशैली, गलत खान पान, मोटापा, तनाव आदि। शतावरी में बायोएक्टिव गुण पाया जाता है इसके अतरिक्त शतावरी में पोटेशियम और फाइबर पाया जाता है जो कि हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।
प्रयोग विधि –
ब्लड प्रेशर के मरीजों को शतावरी के काढ़े की 10 से 20 मिली की मात्रा में एक चुटकी हल्दी और एक चम्मच शहद मिलाकर लेने से लाभ होगा।
15. शतावरी से बनाए मस्तिष्क को स्वस्थ्य | It keeps your mind healthy
तनाव की वजह से मस्तिष्क से सम्बंधित कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं। अस्वस्थ मष्तिष्क के कारण चिडचिड़ापन, सिर दर्द, माइग्रेन जैसी कई बीमारियां हो जाती हैं इसलिए मस्तिष्क को स्वस्थ रखना बेहद जरुरी होता है। बता दें कि शतावरी में विटामिन बी-6, राइबोफ्लेविन, और ओमेगा 3 पाया जाता है जो मस्तिष्क को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ मजबूत भी बनाता है। शतावरी का उपयोग माइग्रेन के दर्द को भी कम कर देता है।
प्रयोग विधि –
एक चम्मच शतावरी चूर्ण, एक चम्मच बादाम चूर्ण, एक चम्मच मिश्री पाउडर को मिलाकर रात को सोते समय दूध के साथ सेवन करने से मस्तिष्क को ताकत मिलती है।
16. वजन को कम करे शतावरी | Shatavari helps you to reduce your weight
वजन कम करने के लिए शतावरी का उपयोग बेहद फायदेमंद है। शतावरी एक ऐसी औषधि है जिसमें कोलेस्टॉल और कैलोरी नहीं पाई जाती है जो वजन बढ़ने के मुख्य घटक हैं। इसलिए जिन लोगों का वजन बहुत अधिक बढ़ गया है और वह अपने वजन को कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो उन लोगों के लिए शतावरी गुणकारी औषधि है क्योंकि शतावरी में विटामिन सी तथा घुलनशील एवं अघुलनशील फाइबर पाया जाता है जो शरीर में जमा अतरिक्त चर्बी और वजन को कम करता है।
प्रयोग विधि –
वजन कम करने के लिए एक चम्मच शतावरी के चूर्ण को सुबह शाम पानी के साथ सेवन करें या शतावरी की सब्जी बनाकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है। वजन कम करने के लिए सुबह शाम कम से कम आधा घंटे वर्कआउट जरूर करें।
शतावरी का उपयोग कैसे करें | Uses of Asparagus in Hindi
शतावरी का उपयोग आप कई प्रकार से कर सकते हैं जैसे कि –
1. शतावरी का उपयोग सब्जी के रूप में किया जा सकता है।
2. शतावरी का उपयोग जूस के रूप में कर सकते हैं लेकिन शतावरी जूस की मात्रा बीस से तीस ग्राम तक ही लेना चाहिए।
3. शतावरी के चूर्ण का उपयोग सूप में मिलाकर किया जा सकता है।
4. शतावरी की जड़ों और पत्तियों का उपयोग काढ़े के रूप में कर सकते हैं।
5. शतावरी का उपयोग सलाद के रूप में भी किया जा सकता है।
शतावरी के नुकसान | Side Effects of Asparagus in Hindi
शतावरी महिलाओं के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं हैं। यह महिलाओं के सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी औषधि है लेकिन गलत तरीके से शतावरी का इस्तेमाल करने से कई तरह के नुकसान भी हो सकते हैं। तो आइए शतावरी से होने वाले नुकसानों के बारे में जानते हैं।
1. पथरी में है नुकसानदायक
शतावरी का सेवन किडनी में पथरी वाले लोगों को नहीं करना चाहिए क्योंकि शतावरी में प्यूरिन पाया जाता है जो किडनी में पथरी वाले लोगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
2. गर्भावस्था के समय करें ध्यान से उपयोग
गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को शतावरी का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए क्योंकि अधिक मात्रा में शतावरी का सेवन करने से यह महिलाओं को नुकसान भी पंहुचा सकती है।
3. शतावरी में होती है पोटेशियम की अधिकता
शतावरी में पोटेशियम की मात्रा अधिक पाई जाती है। अत्यधिक पोटेशियम का सेवन करने से शरीर में हाइपरकलेमिया बन सकता है जिसकी वजह सांस लेने में दिक्क्त और सीने में जलन हो सकती है।
4. एलर्जी, उल्टी, दस्त को दे बढ़ावा
शतावरी का अधिक सेवन करने से एलर्जी, उल्टी, दस्त, गैस जैसे रोग हो सकते हैं। जिन लोगों को किसी तरह की एलर्जी है उन लोगों को शतावरी का सेवन नहीं करना चाहिए। खास कर जिन लोगों को प्याज या लहसुन की एलर्जी है उन लोगों को शतावर का उपयोग नहीं करना चाहिए।
5. मूत्र में आए दुर्गन्ध
शतावरी के अत्यधिक सेवन करने से मूत्र में दुर्गंध आने लगती है। इसलिए शतावरी का सेवन पर्याप्त मात्रा में ही करना चाहिए।
तो दोस्तों ये थी शतावरी (aspragus in hindi) से जुड़ी कुछ जानकारी। हम आशा करते हैं की आप शतावरी के समस्त फायदे और नुकसानों से परिचित हो गए होंगे। अगर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के बीच शेयर जरूर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें।
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